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काले धुएं से स्थानीय लोग का जीना हुआ दुश्वार, कई बार उठाई गई आवाज
रोहटा: मेरठ-बड़ौत रोड पर गांव के बाहर स्थित एक टायर फैक्ट्री लोगों की मुंह पर कालिख पोत रही है। तमाम नियम कायदों और मानकों को ताक पर रखकर प्रदूषण विभाग की सह चल रही टायर फैक्ट्री ने स्थानीय लोगों का जीना दूभर कर दिया है।
कई गांव के लोग फैक्ट्री से निकलते काले धुएं और प्रदूषण से आजिज आ चुके हैं। इस संबंध में कई बार स्थानीय ग्रामीण इस कालिख पोत रही फैक्ट्री पर रोक लगाने की मांग उठा चुके हैं, लेकिन विभाग की हीलाहवाली और मिलीभगत से फैक्ट्री बदस्तूर संचालित हो रही है। जिससे लोगों को दुश्वारियां का सामना करना पड़ रहा है।
प्रदूषण विभाग की अनदेखी रोहटा क्षेत्र के लोगों पर खासी भारी पड़ रही है। मेरठ-बड़ौत रोड पर रोहटा गांव के बाहर एक टायर फैक्ट्री में लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है। कई गांवों व आसपास के लोगों के लिए फैक्ट्री नरक बन रही है। मेरठ के व्यापारी बॉबी और विनोद की फैक्ट्री में बेकार टायरों को गलाकर उससे तेल निकालने का काम किया जाता है।
प्रदूषण विभाग के तमाम नियम कायदों और मानकों को ताक पर रखकर संचालित हो रही इस फैक्ट्री में सब कुछ काला ही काला नजर आता है। स्थानीय ग्रामीणों की माने तो फैक्ट्री में टायर जलाकर लोहा और टायर का तेल अलग-अलग किया जाता है।
इसके इस्तेमाल से यहां उड़ने वाले रबड़ के काले धुएं से क्षेत्र के ख्वाजमपुर माजरा, सलाहपुर व पूठखास आदि गांवों के लोगों का जीना दुश्वार हो रहा है। यहां के लोगों की मानें तो फैक्ट्री की चिमनी से निकलने वाले काले और प्रदूषण युक्त जहरीले हुए की छाई घरों के ऊपर उड़ती है।
ग्रामीणों का मानना है कि वह घर के बाहर दिन या रात के समय में कोई कपड़ा या कोई कारोबार नहीं कर पाते हैं। जिसे फैक्ट्री से निकलने वाले तमाम धुएं और छाई काली परत के रूप में जम जाती है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि काले कारोबार की फैक्ट्री को लोगों की नजरों से बचने के लिए रात के समय में संचालित किया जाता है। दिनभर फैक्टरी बंद पड़ रहती है।
स्थानीय लोगों की मानें तो फैक्ट्री से निकलने वाला जहरीला और काला धुआं खतरनाक स्तर की बीमारियां परोस रहा है। इसको लेकर स्थानीय ग्रामीण इस फैक्ट्री के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं, लेकिन हर बार उनकी आवाज दबा दी जाती है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रदूषण विभाग की दरियादिली के चलते ग्रामीणों की शिकायत को अनसुना कर दिया जाता है। इस संबंध में स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि काले कारोबार की फैक्ट्री में सब कुछ काला काम ही होता है।
तमाम नियम कायदों और प्रदूषण विभाग की बिना एनओसी के संचालित हो रही फैक्ट्री से आसपास कारोबारी लोग बुरी तरह त्रस्त हैं। फैक्ट्री के ठीक सामने स्थित एक फार्म हाउस पर फैक्ट्री का पूरा काला साया उड़ता रहता है। जिससे यहां लोग शादी विवाह करने तक से हिचकिचाते हैं।
इस संबंध में सलाहपुर, पूठखास, रोहटा व ख्वाजमपुर माजरा के ग्रामीणों ने बताया कि इस फैक्ट्री से इतना खतरनाक धुआं और गैस निकलती है कि कई लोग सांस जैसी खतरनाक बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं, लेकिन कई बार की शिकायत के बाद भी कोई रोकथाम नहीं हो पाई है।
काले कारोबार की फैक्ट्री में सब कुछ काला: बेकार और कबाड़ के टायर जलाकर काला तेल निकालने के इस काले कारोबार में फैक्ट्री के अंदर प्रवेश करते सब कुछ काला ही काला नजर आता है। चारों ओर उड़ती, दीवारों पर पुती कालिख इस बात की गवाही देती है तो फैक्ट्री के अंदर आने वाले कुत्ते तक चपेट में आकर काले नजर आते हैं।
रोड के बाहर से लेकर अंदर तक सब कुछ काला ही काला नजर आता है। फैक्ट्री के अंदर एक और काले तेल से भरे ड्रम और दूसरी और कबाड़ टायरों पर कचरे से है। फैक्ट्री से उड़ती बदबू और धुएं से यहां दो मिनट भी खड़ा होना दुश्वार हो जाता है।
अत्यंत ज्वलनशील की श्रेणी में आने वाले टायरों से निकले काले तेल और टायर की रोकथाम के लिए कोई खास उपकरण भी नहीं है। हालांकि इस संबंध में फैक्ट्री मालिक बॉबी और विनोद की ओर से दावा किया जाता है कि वे प्रदूषण विभाग की एनओसी और नियम कायदों के तहत काम कर रहे हैं।
स्थानीय विधायक विधानसभा में उठा चुके मामला:
काले कारोबार की फैक्ट्री के खिलाफ स्थानीय विधायक गुलाम मोहम्मद कुछ महीने पहले ही विधानसभा में यह मामला प्रमुखता से उठा चुके हैं। गठबंधन विधायक गुलाम मोहम्मद ने बताया कि स्थानीय ग्रामीणों की शिकायत पर वह प्रदूषण अधिकारी और
तमाम विभागों की मिलीभगत से संचालित इस काले कारोबार की फैक्ट्री को अन्य स्थानांतरित करने के लिए विधानसभा में प्रमुखता से उठा चुके हैं, लेकिन विधायक द्वारा उठाए गए इस मुद्दे के बाद भी फैक्ट्री के खिलाफ प्रदूषण विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
कारोबार पूरी तरह से हो चुका चौपट:
स्थानीय लोकदल नेता और फैक्ट्री के ठीक सामने फार्म हाउस के मालिक रणबीर दहिया भी फैक्ट्री के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। उनकी माने तो इस फैक्ट्री से उनके फार्म हाउस का कारोबार पूरी तरह से चौपट हो चुका है।
साफ-सफाई के नाम पर हर महीने उनके हजारों रुपये खर्च होते हैं तो लोग शादी करने तक के लिए वहां आने बंद हो गए हैं।