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सप्तसागर मंडी में दवा विक्रेताओं ने सीजीएसटी अधीक्षकों को घेरा
वाराणसी न्यूज़: सप्तसागर दवा मंडी में दोपहर साढ़े 12 बजे के आसपास फर्जी पंजीकरण की जांच करने पहुंचे सीजीएसटी के दो अधीक्षकों को व्यापारियों ने घेर लिया. अधीक्षकों के ही फर्जी होने और उन पर 10 हजार रुपये वसूली का आरोप लगाते हुए दवा विक्रेताओं ने हंगामा शुरू कर दिया. सप्तसागर पुलिस चौकी प्रभारी के हस्तक्षेप पर मामला शांत हुआ.
तीन घंटे से अधिक समय तक चले हंगामे के कारण जांच नहीं हो सकी. अधीक्षकों ने अगली बार दवा व्यापार मंडल को सूचना देने के बाद ही जांच करने की बात कही. चौकी प्रभारी ने भी उनसे कहा कि ऐसी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए वे पुलिस को भी जरूर सूचित करें.
सीजीएसटी विभाग के दो अधीक्षक दोपहर में दवा मंडी पहुंचे और दुकानों के पंजीकरण की जांच शुरू कर दी. तब व्यापारियों ने उनसे पहचानपत्र दिखाने को कहा. उन्होंने कस्टम विभाग का परिचयपत्र दिखाया तो व्यापारियों को शक हो गया. वे दोनों को सप्तसागर पुलिस चौकी ले गए. वहां दोनों की पहचान की पुष्टि हुई. उन्होंने बताया कि सीजीएसटी और कस्टम विभाग का संयुक्त कार्ड बनता है. इस बीच काफी संख्या में जुट गए व्यापारी 10 हजार रुपये मांगने का आरोप लगाने लगे जिससे उन अधीक्षकों ने इनकार किया. चौकी प्रभारी ने व्यापारियों को शांत किया.
दवा विक्रेता समिति वाराणसी के अध्यक्ष दिनेश कुमार व महामंत्री संजय सिंह ने कहा कि दवा व्यापारी स्टॉक का रिकॉर्ड रखते हैं, समय से रिटर्न भरा जाता है. फिर इस जांच का औचित्य समझ में नहीं आता है. इस दौरान व्यापारी विनोद यादव, धर्मेंद्र अग्रवाल, शैलेष गुप्ता, अशोक सिंह, अल्पेश पटेल, महेश खेतान, अतुल जैन आदि मौजूद थे.
शक होने पर हुए उग्र:
1. कार्ड दिखाने पर भी व्यापारियों को नहीं हुआ भरोसा, अधीक्षकों को ले गए पुलिस चौकी, तीन घंटे बाद शांत हुआ माहौल
2. चौकी पर साफ हुआ कि जीएसटी और कस्टम विभाग की होती है एक आईडी
3. हंगामे के बाद अधिकारियों ने अगली बार सूचना देकर जांच करने की बात कही
व्यापारियों के आरोप गलत
सीजीएसटी के सहायक आयुक्त सुशील कुमार ने कहा कि व्यापारियों का आरोप सरासर गलत है. फर्जी पंजीकरण का भौतिक सत्यापन दो माह से चल रहा है. अब तक 103 फर्मों की जांच हो चुकी है, इनमें करीब 20 फर्में फर्जी मिलीं हैं. उनका पंजीकरण निरस्त किया जा चुका है.