उत्तर प्रदेश

'ब्रेक फेल सेफ मोड' में बस चलाकर आग लगने की घटना में चालक दोषी

Admin Delhi 1
24 Dec 2022 10:25 AM GMT
ब्रेक फेल सेफ मोड में बस चलाकर आग लगने की घटना में चालक दोषी
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मेरठ: बीती 14 दिसंबर को बड़ौत डिपो की बस में गाजियाबाद क्षेत्र में हुई आग लगने की घटना की जांच कर रही टीम ने जनवाणी की खबर पर मुहर लगाते हुए माना कि 'ब्रेक फेल सेफ मोड' में बस को चलाने के कारण उसमें आग लगी थी। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट उचित माध्यम से सक्षम अधिकारियों को प्रेषित कर दी है।

गौरतलब है कि बीती 14 दिसंबर को गाजियाबाद में हिंडन एयरपोर्ट के निकट बड़ौत डिपो की एक बस में आग लगने की एक घटना हुई थी। सौभाग्य से हादसे से पहले बस संख्या यूपी-30 एटी 2588 में सवार 19 यात्रियों को परिवहन निगम की अन्य बस में ट्रांसफर कर दिया गया था। आरएम केके शर्मा ने इस घटना की जांच एआरएम मेरठ डिपो जगदीश सिंह, डिपो के सीनियर फोरमैन और गढ़ डिपो के सीनियर फोरमैन को सौंपी थी।

जांच टीम ने मेरठ क्षेत्रीय कार्यशाला में लाई गई बस का मुआयना करते हुए पाया कि उसकी वायरिंग अभी तक सही सलामत है। जबकि गाजियाबाद एसएम की प्रारंभिक रिपोर्ट में वायरिंग में स्पार्क होने से आग लगने का अनुमान लगाया गया था। जिसके आधार पर मुख्यालय से बड़ौत डिपो के सीनियर फोरमैन को निलंबित कर दिया गया। जांच टीम ने जो रिपोर्ट मुख्यालय को प्रेषित की है, उसमें दैनिक जनवाणी के 20 दिसंबर के अंक में प्रकाशित न्यूज की पुष्टि हुई है।

जांच रिपोर्ट के मुताबिक 'ब्रेक फेल सेफ मोड' में बस को आगे बढ़ाना आग लगने का कारण बना है। इस तकनीक में प्रेशर ब्रेक सिस्टम में हैंडब्रेक चालू होने की स्थिति में नॉरमल प्रेशर आठ तक पहुंच जाता है। अगर यह किसी वजह से छह से नीचे आ जाता है, तो हैंडब्रेक अपने आप चालू हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में पिछले पहिए जाम हो जाते हैं, और प्रेशर बिल्कुल डाउन हो जाने पर वाहन को नहीं खींचा जा सकता।

जांच दल ने पाया कि प्रेशर चार के आसपास होने के कारण 'ब्रेक फेल सेफ मोड' चालू हो गया, जिसमें चालक ने लोड की ओर ध्यान दिए बगैर बस को धीमी गति से लोनी डिपो तक पहुंचाने का प्रयास किया। इसी प्रयास में घर्षण के कारण ड्रम इतने गर्म हुए, कि टायरों तक में आग लग गई, जिसके बार पूरी बस चपेट में आ गई।

इसके अलावा चालक ने बस को आगे न ले जाकर जकनीकी टीम का इंतजार करने संबंधी डिपो के निर्देश की अवहेलना की। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर चालक को दोषी करार देने के चलते उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होना निश्चित माना जा रहा है।

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