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उत्तर प्रदेश
आपसी सहमति से ले सकते हैं तलाक, बस 5 शर्तें होना जरूरी
SANTOSI TANDI
1 Aug 2023 7:12 AM GMT
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बस 5 शर्तें होना जरूरी
बॉलीवुड एक्टर फरदीन खान वैसे तो लाइमलाइट में नहीं रहते हैं, लेकिन इन दिनों अपनी शादी को लेकर चर्चा में हैं। फरदीन ने 2005 में बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस मुमताज माधवानी की बेटी नताशा माधवानी से शादी की थी।
अब शादी के 18 साल बाद फरदीन और नताशा तलाक ले रहे हैं। दोनों ने आपसी मतभेदों के चलते आपसी सहमति से अलग होने का फैसला किया है। फरदीन और नताशा सालभर पहले से अलग रह रहे हैं। फरदीन मुंबई और नताशा लंदन में रह रही हैं। उनके दो बच्चे बेटी डायनी और बेटा अजारियस है।
आज जरूरत की खबर में समझते हैं कि आपसी सहमति से तलाक लेने का क्या मतलब होता है, इसका प्रोसेस क्या होता है और कस्टडी कैसे डिसाइड की जाती है।
एक्सपर्ट:
एडवोकेट किरन उप्रेती, दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट
एडवोकेट सचिन नायक, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट
सवाल: आपसी सहमति से तलाक लेने का क्या मतलब होता है?
जवाब: शादी के बाद जब पति और पत्नी अपनी इच्छा से एक-दूसरे से अलग होने का फैसला करते हैं और तलाक की अर्जी देते हैं, तो इस सिचुएशन को आपसी सहमति से तलाक कहा जाता है। इसे ही म्यूचुअल कंसेंट कहा जाता है।
हिंदू मैरिज एक्ट 1955 धारा-13B में आपसी सहमति से तलाक का जिक्र है।
सवाल: आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए क्या किसी कंडीशन का होना जरूरी है?
जवाब: नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं-
सवाल: पति-पत्नी की शादी को एक साल भी नहीं हुआ, वे उससे पहले ही तलाक लेना चाहते हैं तो उस कंडीशन में क्या होगा?
जवाब: अगर शादी के बाद पति-पत्नी की आपस में नहीं बन रही है तो वो जब से चाहे आपसी सहमति से तलाक के लिए आवेदन दे सकते हैं और अलग अलग रह सकते हैं। एक साल तक अलग रहने के बाद ही कोर्ट आपसी सहमति से तलाक देने पर विचार कर सकती है।
सवाल: आपसी सहमति से तलाक हुआ है तब बच्चे की कस्टडी कैसे मिलती है?
जवाब: ऐसे तलाक में पति और पत्नी दोनों को बच्चों की कस्टडी के मुद्दे को आपस में सुलझाने की जरूरत होती है। इस सिचुएशन में माता-पिता में से किसी एक के पास बच्चे को रखने पर सहमति जरूरी है।
अगर दो बच्चे हों तो माता और पिता आपसी सहमति से फैसला कर सकते हैं।
इसमें बच्चों की मर्जी शामिल हो तो बहुत अच्छी बात है। कस्टडी पर माता-पिता की सहमति नहीं बनने पर कोर्ट जाना होता है।
सवाल: अगर मां-पापा दोनों ही बच्चे की कस्टडी लेने से मना कर दें, तब इस सिचुएशन में क्या होगा?
जवाब: ऐसी स्थिति में थर्ड पार्टी कस्टडी या लीगल जॉइन कस्टडी की इजाजत कोर्ट देती जाती है। थर्ड पार्टी कस्टडी में बच्चे के दादा दादी या नाना-नानी के पास रह सकता है।
अगर वो लोग भी नहीं या जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते हैं, तब दोनों ही तरफ के दूसरे क्लोज रिलेटिव को कस्टडी दी जा सकती है।
लीगल कस्टडी में कोर्ट कस्टोडियन अपाइंट करती है और गार्जियन नियुक्त करने के साथ ही बच्चे की कस्टडी उन्हें सौंप सकती है।
बच्चे के मां-पापा दोनों से बच्चे को मिलने का अधिकार छीन लिया जाता है।
कोर्ट बच्चे का खर्चा दोनों में बराबर बांट देता है, ताकि बच्चे की आर्थिक मदद होती रहे।
सवाल: आपसी सहमति से तलाक लेने में पत्नी को मेंटेनेंस और प्रॉपर्टी किस आधार पर तय की जाती है?
जवाब: प्रॉपर्टी का मामला भी दोनों को आपसी सहमति से निपटाना पड़ता है।
ये दो तरह है
पहला- अगर पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं, तो आपसी सहमति से मेंटेनेंस तय कर सकते हैं। खुद अपना गुजारा करने की स्थिति में मेंटेनेंस मांगने का अधिकार नहीं है।
दूसरा- अगर पत्नी कामकाजी महिला नहीं है, पति पर आश्रित है तो उस कंडीशन में उसे आपसी समझौते से गुजारा भत्ता दिए जाने पर सहमति जरूरी है। अगर ये तय नहीं हो पा रहा है तो कानून की मदद ले सकते हैं।
सवाल: आपसी सहमति से तलाक लेने का प्रोसेस क्या है?
जवाब: पति-पत्नी दोनों मिलाकर याचिका दायर करते हैं। पूरा वैरिफिकेशन होता है। उसके बाद आपको याचिका दायर करने की डेट से 6 महीने बाद की तारीख दे दी जाती है। अब 6 महीने बाद तय किया जाता है कि तलाक देना है या नहीं देना।
सवाल: तलाक की याचिका कहां दायर कर सकते हैं?
जवाब: पति-पत्नी अपने शहर के फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर कर सकते हैं।
सवाल: शादी के बाद बहुत से कपल के पास मैरिज सर्टिफिकेट नहीं होता है, ऐसे में तलाक लेने के लिए उनके पास क्या ऑप्शन रहता है?
जवाब: मैरिज सर्टिफिकेट नहीं है तो कोई परेशानी की बात नहीं है। बस शादी का कार्ड होना जरूरी है। लेकिन अगर किसी कपल ने घर से भागकर आर्य समाज से शादी की है या किसी ने ऐसी अन्य संस्था के माध्यम से शादी की है तो वहां से मिलने वाला सर्टिफिकेट और शादी की महत्वपूर्ण रस्मों की फोटो या वीडियो जरूर साथ में रखनी चाहिए। अन्यथा आप अपनी शादी को ही प्रूफ नहीं कर पाएंगे।
जैसे मंदिर जाकर केवल मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर भर देने से शादी संपूर्ण नहीं मानी जा सकती। अगर शादी के रिवाज करते हुए या फेरे लेते हुए फोटो नहीं है तो परेशानी हो सकती है।
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