उत्तर प्रदेश

लक्ष्य से 34 फीसदी अधिक एनएसवी के साथ पहली बार ए श्रेणी में पहुंचा जिला

Shantanu Roy
4 Feb 2023 9:37 AM GMT
लक्ष्य से 34 फीसदी अधिक एनएसवी के साथ पहली बार ए श्रेणी में पहुंचा जिला
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गाजियाबाद। परिवार नियोजन के मामले में अपना जिला पहली बार "डी" से "ए" श्रेणी में पहुंच गया है। यह लोगों की परिवार नियोजन के प्रति बढ़ती समझ के कारण ही संभव हो सका है। यह बातें शुक्रवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने कहीं। उन्होंने बताया जिले में स्थाई और अस्थाई, दोनों ही प्रकार के परिवार नियोजन साधनों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। प्रजनन व मातृ-शिशु स्वास्थ्य के लिए परिवार नियोजन जरूरी है। यह कार्यक्रम जनसंख्या नियंत्रण के लिए नहीं बल्कि स्वस्थ और समृद्ध जीवन के लिए है। सीएमओ ने बताया अप्रैल- 2022 से जनवरी-2023 तक जिले को 42 एनएसवी (पुरुष नसबंदी) का लक्ष्य मिला था, जिसके सापेक्ष 56 एनएनवी हुई हैं, यानि लक्ष्य के सापेक्ष 134.4 फीसदी उपलब्धि। महिला नसबंदी (एफएसटी) के मामले बेशक यह 76 फीसदी रहा। जिले में अप्रैल-2022 से जनवरी-2023 तक परिवार पूरा कर चुकीं कुल 1869 महिलाओं ने नसबंदी के रूप में परिवार नियोजन का स्थाई साधन अपनाया।
लोनी ब्लॉक 144.9 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर महिला नसबंदी में सबसे आगे रहा, जबकि 94.3 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर रजापुर ब्लॉक दूसरे नंबर पर रहा। परिवार नियोजन के दीर्घकालिक अस्थाई साधनों की बात करें तो इंट्रा यूट्राइन कॉन्पिट्रासेप्टिव डिवाइस (आईयूसीडी) के मामले में जिले ने 119.7 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया है। परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों के आंकड़े दिसंबर-2022 तक के इैं। इन आंकड़ों के मुताबिक लक्ष्य जहां 7895 आईयूसीडी का था, वहीं 9450 आईयूसीडी लगाई गईं। हालांकि, पोस्ट पार्टम इंट्रा यूट्राइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी) के मामले में लक्ष्य का करीब 80 फीसदी ही हासिल हो पाया। तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन की बात करें तो जिले में नौ माह के दौरान कुल 12,531 अंतरा लगाए गए। यह आंकड़ा लक्ष्य का 146.5 प्रतिशत रहा। लक्ष्य के मुताबिक जिले में कुल 8,552 अंतरा लगाए जाने थे।इंट्रा यूट्राइन कॉन्पिट्रासेप्टिव डिवाइस गर्भधारण को रोकने वाला एक टी आकार का एक उपकरण होता है जो महिला के गर्भाशय में लगाया जाता है। पोस्ट पार्टम इंट्रा यूट्राइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस गर्भधारण रोकने के लिए प्रसव के बाद 48 घंटे में गर्भाशय में लगाया जाने वाला उपकरण है। जब दूसरा बच्चा प्लान करें तो इसे आसानी से निकलवाया जा सकता है।
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