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गोरखपुर: खोराबार में नगर निगम की ओर से शादी घर के लिए चिन्हित जमीन को कुछ लोगों ने अपना बताकर विवाद पैदा कर दिया है. स्थानीय लोगों ने कागजात दिखाते हुए जमीन को अपना बताया है. जमीन पर हक जताने वालों का दावा है कि उक्त जमीन उनके बाबा को एयरफोर्स में नौकरी के दौरान बहादुरी के एवज में मिली है. करीक एक घंटे तक चले नोकझोंक के बाद नगर निगम ने निर्मित मकान को छोड़कर चिन्हांकन की कवायद शुरू की है.
करीब 12 बजे खोराबार में नायब तहसीलदार सतीश चंद्र के नेतृत्व में टीम शादी घर के लिए जमीन चिंहित करने पहुंची. उक्त जमीन के चारों तरफ जमीन को जीडीए अधिग्रहण कर लिया है. शादी घर के जमीन के लिए चिन्हित जमीन को लेकर स्थानीय काश्तकारों से विवाद होता रहा. नायब तहसीलदार ने काश्तकारों को बताया कि आप की जमीन श्रेणी 3 की हैं. आपका नाम इस जमीन से 2006 में खारिज हो चुका हैं. इसके बाद पीड़ित सतीश, दिलीप एवं प्रदीप ने बताया कि उनके बाबा मोलई एयरफोर्स में नौकरी करते थे. यह जमीन सरकार ने बाबा की बहादुरी के लिए दिया था. सन 1971 में देश की लड़ाई में उन्होंने दुश्मनों के वार से जहाज को बचाया था. इसके बाद सरकार ने दो एकड़ जमीन दी थी. जमीन बाबा के नाम से राजस्व विभाग में दर्ज हो गई. उसी जमीन पर बाबा मोलई कुछ हिस्से पर मकान बनवा दियें. बाकी जमीन पर खेती का काम होता रहा. विक्रम, दिलीप, प्रदीप, सतीश ने बताया कि जिस जमीन को सरकार इनाम में दी थी. आज उसे वापस ले रही हैं. पीड़ितों ने बताया कि मोलई पासवान ने उक्त जमीन का रजिस्टर्ड वसीयत अपने तीनों नाती दिलीप, प्रदीप व सतीश के नाम सन् 2020 में कर दिया. मोलई की मृत्यु 2021 हो गई. नायब तहसीलदार ने पीड़ितों से कहा कि अफसर के सामने अपना पक्ष रखें.