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लखनऊ: सिराथु से सपा विधायक अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल द्वारा राज्यसभा चुनाव में मतदान से पूर्व सपा प्रत्याशियों के विरोध के पीछे मुख्य रूप से पीडीए को तरजीह न देने से नाराज़गी सामने आ रही है. एक के बाद एक सहयोगी दलों के सपा से दूर जाने की टिस इस विरोध में है. कुल मिलाकर इस विरोध में सपा को उसकी गलतियों को अहसास कराना ही अधिक समझा जा रहा है. हालांकि इस विरोध को अद (कमेरावादी) के एनडीए की तरफ जाने के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है.
पल्लवी के राजनीतिक रणनीतिकारों के मुताबिक सपा गठबंधनन का हिस्सा रहे महान दल के नेता केशव देव मौर्य, सुभासपा नेता ओम प्रकाश राजभर, रालोद नेता जयंत चौधरी और ताजा घटनाक्रम सपा के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ सपा की रणनीतिक मनमानी से जोड़कर देखा जा रहा है .
एक कार के लिए केशव देव मौर्य को क्या नहीं कहा गया. ओम प्रकाश राजभर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. दोनों मजबूर होकर सपा गठबंधन से अलग हो गए.
रालोद नेता जयंत चौधरी जो कि हर हाल में इंडिया में रहना चाहते थे सपा ने सात सीटें उन्हें देते हुए प्रत्याशियों के नाम तक बता दिए. इसके बाद तो जयंत के पास खुद राजनीति करने के लिए कुछ बचा ही नहीं था. सपा के नेता ही दबी ज़ुबान कह रहे हैं कि इसलिए जयंत भी चले गए. स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को निजी बयान कहकर सपा प्रमुख ने उन्हें भी नाराज होने का कारण दे दिया. ऐसे गठबंधन राजनीति कैसे होती है.
सपा के रास प्रत्याशियों को वोट नहीं देंगी पल्लवी
सिराथू से सपा की विधायक अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल ने सपा प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करने से इंकार कर दिया है. ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में पल्लवी पटेल ने कहा कि समाजवादी पार्टी पीडीए की बात करती है. पीडीए का मतलब हुआ पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक. राज्यसभा में प्रतिनिधित्व देने के लिए घोषित प्रत्याशियों में सपा ने इस पीडीए का ध्यान नहीं रखा. यह धोखा है.