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मेरठ न्यूज़: बिगड़ी हुई जीवन शैली, जंक फूड का अत्यधिक सेवन और खेलकूद से दूर हो रहे बच्चे मधुमेह के शिकार हो रहे हैं. बड़ी उम्र में होना वाला ये रोग अब 10 से 12 साल की उम्र में ही जकड़ ले रहा है. शरीर में शुगर का लेवल बढ़ने से बच्चों की मानसिक सेहत पर भी इसका असर पड़ रहा है. रिपोर्ट देख चिकित्सक भी हैरान हैं. उनका कहना हैं कि मधुमेह के लक्षण आने पर माता -पिता को तुरंत की जांच करवानी चाहिए. इलाज में देरी से स्थिति गंभीर हो सकती है.
ये है स्थिति चिकित्सकों के अनुसार 10 वर्ष के बच्चों में भी मधुमेह तेजी से सामने आ रहा है. आंकड़ों के मुताबिक मधुमेह के लगभग 5 ़फीसदी मरीज बच्चे हैं. 15 से 20 वर्ष के किशोरों में तेजी से रोग पनप रहा है. मधुमेह टाइप 2 के मरीज इसमें अधिक मिल रहे हैं. बच्चों में जल्दी बीमारी समझ न आने की वजह से इलाज में देरी भी हो जा रही है.
31 फीसदी पुरुष, 28 फीसदी महिलाएं शिकार राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वे -5 की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 59 फीसदी आबादी मधुमेह की शिकार है. इनमें 31 ़फीसदी पुरुष आबादी और 28 फीसदी महिला आबादी शामिल है.
16 फीसदी पुरुष में मधुमेह उच्च स्तर की पाई गई. महिलाओं में तनाव, मोटापा, मासिक धर्म में परेशानी, हार्मोनल समस्याओं के चलते समस्या बढ़ रही है. वहीं पुरुषों में काम की अधिकता, तनाव,आर्थिक बोझ बड़ी संख्या में बच्चों को बीमारी का शिकार बना रहा है.
योग व्यायाम जरूरी चिकित्सक बताते हैं कि मधुमेह का कोई विशेष उपचार नहीं है. इससे बचने या इसे नियंत्रित करने के योग, व्यायाम और शारीरिक श्रम वाले कार्य करने आवश्यक हैं. हर दिन एक घंटा शारीरिक गतिविधियां जरूर करें. योग , व्यायाम या कोई खेल दिनचर्या में शामिल करें. साथ ही स्वस्थ भोजन, बाहर के खाने से परहेज, पानी का सही मात्रा में सेवन, हरी सब्जियां, कम कम मात्रा में खाने जैसी आदतें विकसित होनी चाहिए
ऐसे पहचाने मधुमेह
● बच्चों के गर्दन या हाथों में अधिक कालापन नजर आए.
● बार बार शौच के लिए जाना
● अधिक प्यास लगना, मुंह सुखना
● बार बार संक्रमण की चपेट में आ जाना
● हाथ - पैरों में झनझनाहट
● उल्टी आना, जी घबराना
इन दिनों बच्चों में भी डायबिटीज देखने में आ रही है. कोरोना के साथ ही बच्चों की बिगड़ी हुई जीवन शैली बड़ी वजह है. शरीर में इन्सुलिन बनाने की क्षमता खत्म हो रही है. डॉ. अरविंद कुमार, प्रो. मेडिसिन विभाग, मेडिकल कॉलेज