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बड़ी उम्र का रोग बच्चों को भी बना रहा शिकार, आउटडोर नहीं जा रहे बच्चे
आगरा न्यूज़: क्या आपका बच्चा मोटापे की ओर बढ़ रहा है. भूख-प्यास ज्यादा लगती है. अगर ऐसा है तो यह डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं. छोटी उम्र में टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज बढ़ने के ऐसे ही तमाम कारण हैं.
वरिष्ठ फिजीशियन डा. शुभम जैन बताते हैं कि बच्चों में डायबिटीज के लिए गलत खानपान, निष्क्रिय जीवन शैली, मोटापा और पारिवारिक इतिहास जिम्मेदार है. पर्याप्त इंसुलिन न बन पाने के कारण बच्चे डायबिटीज की चपेट में आ जाते हैं. ऐसे में बच्चों को थकान ज्यादा महसूस होती है. जरा से काम से थक जाते हैं. बार-बार पेशाब आता रहता है. शुगर का स्तर बढ़ने से उन्हें प्यास भी ज्यादा लगती है. इंसुलिन के पर्याप्त उत्पादन न होने के कारण शरीर में ऊर्जा की कमी हो सकती है. धुंधला दिखाई देना, सांस लेने में तकलीफ, पेट दर्द, उल्टी, बदबूदार सांस और कई मामलों में बेहोशी भी हो सकती है. 16 साल तक के बच्चों में भी यह बीमारी देखी जा रही है.
आउटडोर नहीं जा रहे बच्चे
कोविड काल में बच्चे करीब दो साल तक घरों में कैद रहे. इस दौरान आनलाइन पढ़ाई और मनोरंजन खोज लिया गया है. अब यह उनकी आदत में आ गया है. घरों के बाहर पार्कों में खेलकूद, साइकिलिंग लगभग बंद हो गई है. यानि शरीर का श्रम बहुत कम रह गया है. इससे भी शुगर बढ़ रही है.
इस खानपान से बढ़ती है शुगर
दरअसल छोटी उम्र के लोग कोल्ड ड्रिंक, बर्गर, पिज्जा, चाऊमीन, मोमोज, चिप्स और पैक्ड आइटम अधिक खाने लगे हैं. यह रक्त में शर्करा का स्तर बहुत अधिक बढ़ा देता है. लंबे समय तक इनके लगातार सेवन से मोटापा बढ़ रहा है. इससे छोटी उम्र में डायबिटीज जैसी बीमारी भी लग रही है.