उत्तर प्रदेश

हर-हर गंगे के जयकारों के साथ लगाई गंगा में डुबकी, शुक्रतीर्थ में मेला शांतिपूर्ण सम्पन्न

Shantanu Roy
9 Nov 2022 10:15 AM GMT
हर-हर गंगे के जयकारों के साथ लगाई गंगा में डुबकी, शुक्रतीर्थ में मेला शांतिपूर्ण सम्पन्न
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मोरना। उत्तर भारत की काशी के नाम से मशहूर महाभारत कालीन ऐतिहासिक व पौराणिक धार्मिक तीर्थनगरी शुक्रताल में विगत पांच दिनों से चल रहा कार्तिक पूर्णिमा मेला शांतिपूर्ण संपन्न हो गया। लाखों श्रद्धालुओं ने हर-हर गंगे, जय गंगा मैया के जयकारों के साथ पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने धार्मिक स्थलों के मनोहारी दृश्य देखकर मेले का पूरा आनंद उठाया। पुलिस की सख्ती, सुदृढ़ चाक-चौबंद व्यवस्था व प्रशासनिक अधिकारियों की सक्रियता के बाद भी मनचलों व जेब कतरों का बोलबाला रहा, वहीं शराबियों ने भी उत्पात मचाया। मंगलवार को उत्तर भारत की विख्यात श्रीमद्भागवत उदगम स्थली तीर्थ नगरी शुक्रताल में कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर सूर्योदय से पूर्व ही देश के अनेक राज्यों के कोने-कोने से आए लाखों श्रद्धालुओं ने हर हर गंगे, जय गंगा मैया के गगनभेदी जयकारों के साथ मोक्षदायिनी मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने सूर्य को अर्घ्य देकर मनोवांछित कामना की मान्यता है कि सूर्योदय से लगभग 1 घंटा 48 मिनट पहले ब्रह्म मुहूर्त में मां गंगा में पवित्र स्नान करने से अधिक पुण्य (परभी) की प्राप्ति होती है, जिसके चलते अर्धरात्रि से ही गंगा घाट पर स्नान करने को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भारतीय पंचांग गणित के अनुसार महाभारत कालीन ऐतिहासिक तीर्थ नगरी शुक्रतीर्थ में लगभग 5 हजार पांच सौ 16 वर्ष पहले प्राचीन शुखदेव आश्रम स्थित अक्षय वट वृक्ष की शीतल छाया में 88 हजार ऋषि-मुनियों व श्रोताओं के बीच बैठकर अर्जुन के पोत्र व वीर अभिमन्यु के पुत्र तत्कालीन सम्राट महाराज परीक्षित ने ऋषि द्वारा दिए गए श्राप से मुक्ति प्राप्त करने के लिए महर्षि शुकदेव मुनि के मुखारविंद से पहली बार श्रीमद्भागवत कथा का अमृत पान किया था। तीन सदी के युगदृष्टा ब्रह्मलीन वीतराग स्वामी कल्याण देव महाराज ने वर्ष 1946 में इसी पावन स्थल पर कार्तिक पूर्णिमा मेले का शुभारंभ किया।
प्रति वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या व कार्तिक पूर्णिमा पर तभी से मेले का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर महर्षि शुकदेव मुनि के दर्शन, युग दृष्टा स्वामी कल्याण देव महाराज के समाधि मंदिर पर श्रद्धांजलि अर्पित कर अक्षय वटवृक्ष की परिक्रमा कर मनोकामना का धागा बांधा। ऐसा माना जाता है कि तोता व मैना का जोड़ा साक्षात रूप में अक्षय वटवृक्ष के ऊपर रहता है। इस जोड़े को अमृता का वरदान है, महर्षि शुकदेव मुनि के मुखारविंद से चल रही श्रीमद्भागवत कथा को तोता व मैना के जोड़े ने भी सुना और ऋषि मुनियों ने उन्हें अमरता का वरदान दे दिया। युग युगांतर से तोता-मैना का जोड़ा अक्षय वटवृक्ष पर विराजमान हैं, जिन श्रद्धालुओं को उनके दर्शन होते हैं उन श्रद्धालुओं का जीवन वैभव व धन धान्य से परिपूर्ण हो जाता है। श्रद्धालुओं ने श्रीहनुमतधाम में प्रभु श्रीराम के परम भक्त हनुमान की प्रतिमा के समक्ष प्रसाद चढ़ाकर आश्रम संचालक नैष्टिक ब्रह्मचारी महामंडलेश्वर केशवानंद महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। मां पूर्णागिरि सिद्ध पीठ आश्रम में देवी-देवताओं की पूजा अर्चना कर आश्रम संचालक महामंडलेश्वर स्वामी गोपालाचार्य महाराज से आशीर्वाद लिया। श्रीगणेश धाम, दुर्गा धाम, शिव धाम, गंगा मंदिर आदि के दर्शन किए। विभिन्न धार्मिक आयोजनों सत्संग, प्रवचन, योग, प्राणायाम, भजन कीर्तन और भंडारों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। कारगिल शहीद स्मारक पर श्रद्धालुओं ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। शहीद सैनिकों की शौर्य का प्रतीक विजयंत टैंक श्रद्धालुओं व बच्चों के आकर्षण का केंद्र रहा। कहीं गंगा घाट पर नवजात बच्चों का मुंडन संस्कार हो रहा था, कहीं पर पितरों की मोक्ष प्राप्ति को श्रद्धालु दीपदान कर रहे थे। बच्चों, महिलाओं, पुरुषों, नवविवाहित जोड़ों ने सिंदूर, साज श्रृंगार, मोतियों के हार,खेल खिलौने, झूमर, कृत्रिम हाथी की चूडिय़ां, हाथी, घोड़े, हवाई जहाज, प्लास्टिक की बंदूक आदि की जमकर खरीदारी की। मिठाइयों व चाट पकौड़ी की दुकानों पर खूब चहल-पहल देखी गई। उधर तीर्थनगरी से लौटते श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मुजफ्फरनगर, मोरना, भोपा, जानसठ बसेड़ा मार्ग पर ट्रैक्टर-ट्रॉली, भैंसा बुग्गी, स्कूटर, कार, मोटरसाइकिल आदि की दूर-दूर तक लंबी कतारें लगी रही। पुलिस व्यवस्था के बाद भी महिला गंगा घाट पर मनचलों का तांता लगा रहा, जेब कतरों का आतंक भी चरम सीमा पर रहा। जेब कट जाने के कारण कई श्रद्धालु इधर-उधर से पैसे इक_ा करके गंतव्य की ओर वापस लौटे। मेरठ निवासी विजय कुमार व गाजियाबाद निवासी संचित शर्मा की जेब से जेब कतरों ने क्रमश: 15०० व 18०० रूपए साफ कर दिए। मेले में आए शराबियों ने भी खूब हुड़दंग मचाया। छिटपुट घटनाओं को छोड़ गंगा मेला शांतिपूर्ण, सकुशल संपन्न हो गया।
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