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लखनऊ: तमाम प्रयासों के बावजूद सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था दुरुस्त नही हो रही हैं। एक बार फिर सरकारी अस्पताल से जुड़ा मामला सामने आया हैं। लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में गंभीर मरीज को भर्ती नहीं किया गया।
परिवारीजन मरीज को भर्ती कराने के लिए काफी देर इमरजेंसी में भटकते रहे। इस दौरान ऑक्सीजन सपोर्ट पर बुजुर्ग मरीज तपती धूप में एम्बुलेंस में तड़प रहे थे। भर्ती के अभाव में परिवारीजन मरीज को लेकर KGMU ट्रॉमा सेंटर जा रहे थे। रास्ते में मरीज की सांसें थम गईं।
वही, अस्पताल प्रशासन घटना के बाद बचाव में उतर आया। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने आरोपों को बेबुनियाद बताया। कहा मरीज को एम्बुलेंस में देखने के लिए डॉक्टर गए थे। मरीज को इमरजेंसी में लाने के लिए कहा। पर, परिवारीजन मरीज को इमरजेंसी के बजाए वापस लेकर चले गए। हालांकि निदेशक ने पूरे मामले की जांच के आदेश जारी दिए हैं।
यह था पूरा मामला
लखनऊ के निगोहां निवासी 60 साल के बुजुर्ग जयराम बुधवार को हमले में जख्मी हो गए थे। उन पर अज्ञात लोगों ने चाकू से वार कर घायल कर दिया था। आनन-फानन परिवारीजन मरीज को लेकर SGPGI ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया। सांस के लिए नली डाली। हालत गंभीर बताकर मरीज को ट्रॉमा ले जाने की सलाह दी।
परिवारीजनों का कहना था कि SGPGI में इलाज की फीस काफी थी। गरीब परिवारीजन और पैसे खर्च करने की स्थिति में नहीं थे। परिवारीजन गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे निजी एम्बुलेंस से मरीज को लेकर बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे। बुजुर्ग मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। जूनियर डॉक्टर एम्बुलेंस में मरीज को देखने पहुंचे। मरीज की हालत गंभीर बताई। भतीजे अमृत लाल का आरोप है इमरजेंसी में डॉक्टरों ने मरीज से पुराने इलाज संबंधी दस्तावेज व रेफरल लेटर मांगे। परिवारीजनों ने रेफरल लेटर न होने की बात कही। आधे घंटे एम्बुलेंस धूप में खड़ी रही। फिर परिवारीजन मरीज लेकर केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर निकले। रास्ते में मरीज की सांसें थम गईं।
3 सदस्यीय टीम करेगी जांच
वही मामले पर बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. रमेश गोयल ने बताया कि मामला संज्ञान में आने के बाद से जांच के आदेश दिए गए हैं। एम्बुलेंस से बुजुर्ग मरीज को बेहद गंभीर हालत में लाया गया था। परिजनों से पूर्व के इलाज संबंधी दस्तावेज मांगे गए, जो उन्होंने नहीं दिया। थोड़ी देर बाद तीमारदार मरीज को लेकर चले गए।
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