उत्तर प्रदेश

धरतीपुत्र तेजी से बढ़े तापमान से हुए परेशान

Admin Delhi 1
22 Feb 2023 2:30 PM GMT
धरतीपुत्र तेजी से बढ़े तापमान से हुए परेशान
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मोदीपुरम: देश के मैदानी तटीय और पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम का तेवर लगातार बदल रहा है। इसके चलते सभी क्षेत्रों में फरवरी के माह में ही तापमान अपने पिछले रिकॉर्ड तोड़ रहा है। मौसम विभाग का अनुमान है कि उत्तर और मध्य भारत में अगले कुछ दिनों में न्यूनतम तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। यह संकेत है कि इस साल गर्मी रिकॉर्ड तोड़ने की राह पर चल रही है।

मार्च वाली गर्मी फरवरी में हुई शुरू

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग अध्यक्ष डा. आरएस सेंगर का कहना है कि गर्मी के कारण गेहूं की फसल के दाने पतले हो जाएंगे। जिससे उत्पादन गिरेगा। उत्तर भारत में इस बार फसलों पर बुरा प्रभाव पढ़ने जा रही है पहले तो इस बार अधिक सर्दी के मौसम में होने वाली बारिश नहीं हुई। वही गर्मी समय से पहले पड़नी प्रारंभ हो गई है।

पश्चिम उत्तर प्रदेश में दिन का तापमान सामान्य से नौ डिग्री अधिक तक पहुंच गया है। इससे भी गेहूं की फसल को खतरा बड़ा है। सबसे चिंता की बात है कि रात का तापमान भी काफी तेजी से बढ़ रहा है और यह लगभग 15 डिग्री सेल्सियस आ गया है। जबकि गेहूं के लिए इस समय का तापमान 22 से 25 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 9 से10 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा माना जाता है।

इस समय खेतों में कच्ची फसल खड़ी हुई है। तापमान अचानक बढ़ने से पौधों की मेटाबॉलिक एक्टिविटीज प्रभावित होगी। जिसके कारण पौधों में पड़ने वाले दाने पतले रह जाएंगे। सामान्य फसल के 1000 गेहूं के दाने का वजन लगभग 38 से 45 ग्राम होता है। जबकि टर्मिनल हीट से प्रभावित फसल के 1000 दानों का वजन 28 से 30 ग्राम ही होता है।

गर्म मौसम के चलते गिरेगा गेहूं का उत्पादन: अभी देखा जाए तो जो गर्म मौसम का मिजाज चल रहा है। उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उत्तर भारत में तापमान में कमी की संभावना नहीं है। राजस्थान और हरियाणा के कुछ जिलों में तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। हालांकि उत्तर भारत के ज्यादातर जगहों पर रात का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे चल रहा है, जो अच्छा नतीजा दे सकता है।

किसान इन बातों का रखें ध्यान: सरदार वल्लभ भाई पटेलसरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डा. यूपी शाही का कहना है कि तापमान में अचानक हो रही वृद्धि के चलते किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी फसल में यदि पानी की आवश्यकता है तो समय पर वह सिंचाई करते रहें।

अपने खेत में ज्यादा दिनों तक सूखा ना रहने दें। वैज्ञानिकों की सलाह पर अपने क्षेत्र में नमी को बनाए रखें। जिससे उनकी फसल पर बढ़ते तापमान के प्रभाव से काफी हद तक अपनी फसल को सुरक्षित रखने में सहायता मिल सकती है।

समय से पहले तापमान बढ़ने से गेहूं की फसल को होगा नुकसान:

तापमान इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो निश्चित रूप से इस वर्ष अन्य वर्षो की अपेक्षा अधिक तापमान रहने की उम्मीद है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान गन्ने की कटाई के बाद 15 से 20 जनवरी तक गेहूं की पछेती बुवाई करते हैं। ऐसे में वर्तमान मौसम गेहूं की फसल के लिए अनुकूल नहीं है,

क्योंकि फसल के लिए तापमान कम होना चाहिए था और मौसम में नमी होने भी बहुत आवश्यक है, लेकिन यहां फरवरी की शुरुआत से ही मौसम बदलने लगा और लगातार बढ़ता चला जा रहा है। इससे गेहूं की फसल प्रभावित होगी।

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