उत्तर प्रदेश

शेषावतार के रूप में ठाकुर जी के नयनाभिराम दर्शन कर श्रद्धालु हुए मंत्रमुग्ध

Shantanu Roy
10 Sep 2022 6:03 PM GMT
शेषावतार के रूप में ठाकुर जी के नयनाभिराम दर्शन कर श्रद्धालु हुए मंत्रमुग्ध
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बड़ी खबर
मथुरा। उत्तर प्रदेश की कृष्ण नगरी मथुरा में शनिवार को अनंत चतुर्दशी के अवसर पर गोवर्धन की तलहटी में शेषावतार के रूप में गिरिराज जी के नयनाभिराम दर्शन कर श्रद्धालु भंत्रमुग्ध हो गए। गोवर्धन के पुलिस क्षेत्राधिकारी राम मोहन शर्मा ने बताया कि हजारों की भीड़ के बावजूद कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। शर्मा ने बताया कि मंदिर में निश्चित संख्या में ही जाने दिया गया। ब्रज के 12 वन, 24 उपवन और सरोवरों की अनूठी झांकी के मध्य किया गया छप्पन भोग का यह आयोजन इतना जीवंत था, कि ऐसा लग रहा था मानो ठाकुर जी स्वयं छप्पन भोग अरोगने तथा अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए साक्षात् अवरित हुये हों। गिरिराज सेवा समिति के संस्थापक मुरारी अग्रवाल ने बताया कि छप्पन भोग में भगवान विष्णु के शेषावतार की झांकी प्रस्तुत की गई थी। हीरे पन्ना आदि रत्नों से सुसज्जित ठाकुर विगृह इतना तेजोमय था कि वह वातावरण में बिजली की रोशनी से अधिक आभा बिखेर रहा था। जो भी श्रद्धालु वहां आता ठाकुर जी की उस अनूठी छवि को न केवल अपलक निहारता बल्कि वहां से जाने का नाम न लेता।
इस अनूठे कार्यक्रम में ब्रज के लोकगीतों की लहरी ने वातावरण को इस प्रकार का बना दिया था जैसे भक्ति स्वयं नृत्य कर रही हो। इस वातावरण के मध्य ठाकुर को अरोगने के लिए नाना प्रकार के व्यंजनों को इन्द्रधनुष के अंदाज में इस प्रकार सजाया गया था कि ठाकुर जी के श्रीचरणों में आकर सिमट गया हो। आयोजकों ने इस अवसर पर जिस प्रकार की पगड़ी पहन रखी थी उससे यह लग रहा था कि जयपुर के राजघराने के लोगों ने ही ठाकुर जी के अरोगने के लिए इस छप्पन भोग का आयोजन किया हो। अनंत चतुर्दशी पर आयोजित किया जानेवाला यह अनूठा छप्पन भोग इसलिए भी स्मरणीय बन गया कि इसका आयोजन भारत से कोरोना वायरस की पूर्ण समाप्ति की कामना के साथ किया गया था। कोरोना के कारण बीते दो साल से यह कार्यक्रम इतने व्यापक पैमाने पर नहीं हो रहा था। आयोजकों का कहना है कि इस बार का यह कार्यक्रम, जन कल्याण के लिए आयोजित किया गया था, इसलिए ठाकुर जी के अशीर्वाद से यह स्मरणीय बन गया। आगामी शुक्रवार की आधी रात तक चलने वाला यह आयोजन आरती के साथ सम्पन्न हुआ। इससे पूर्व सैकड़ों साधु संतों ने इस अवसर पर प्रसाद ग्रहण किया। कुल मिलाकर यह आयोजन गिररज जी की तलहटी में आयोजित छप्पन भोग महात्सवों में नई पटकथा लिख गया।
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