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उत्तर प्रदेश
पैर से दिव्यांग होते हुए भी गंगोत्री से गंगाजल लेकर आया युवक
Shantanu Roy
25 July 2022 11:03 AM GMT
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बड़ी खबर
बाराबंकी। जिले के पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर एक भीषण सड़क हादसा हुआ है। इस हादसे में 6 लोगों की मौत हुई है और करीब 35 यात्री घायल बताए जा रहे हैं। यह हादसा तब हुआ जब सड़क किनारे खड़ी एक डबल डेकर बस में पीछे से तेज रफ्तार में आ रही दूसरी डबल डेकर बस ने टक्कर मार दी। तीन लोगों की हालत बेहद गंभीर है, उन्हें लखनऊ स्थित ट्रामा सेंटर रेफर किया गया है। घटना लोनी कटरा थानाक्षेत्र के नारायणपुर गांव के पास की है।
बताया जा रहा है कि ये डबल डेकर बस बिहार के सीतामढ़ी से दिल्ली जा रही थी। तभी बाराबंकी में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर लोनीकटरा थाना क्षेत्र के नरेंद्रपुर मदरहा गांव के पास पहले से खड़ी डबल डेकर बस को दूसरी बस ने इसे टक्कर मार दी। वहीं हादसे की सूचना पर पुलिस भी मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है। इस बीच घयलों को नजदीकी हैदरगढ़ सीएचसी पहुंचाया गया। तो वही अब पुलिस हादसे की जांच में जुटी है, जो कि मृतकों की पहचान कर उनके परिजनों से संपर्क बना रही है।
ये दोनों डबल-डेकर बसें बिहार के सीतामढ़ी और सुपौल से दिल्ली जा रही थीं। बागपत: भगवान भोले की भक्ति का महीना सावन लग चुका है और कांवड़ यात्रा भी तेज हो चुकी है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए केसरिया वस्त्रों में कांवड़ियों के जत्थे दूर-दूर से गंगाजल भरकर शिवालयों की ओर जाने लगे हैं। एसे में एक दिव्यांग कांवडिया की खूब चर्चा हो रही है। एक हाथ में तिरंगा लिए 35 साल का पवन गंगोत्री से गंगाजल अपने कंधों पर लिए हुए हैं।
850 किलोमीटर का सफर होगा पूरा
पवन ने कहा, "भगवान भोलेनाथ में आस्था और दृढ़ संकल्प है जिस कारण वह हरियाणा से हरिद्वार गंगाजल लेने पहुँचा और लेकर भी आया। कुंडली हरियाणा का रहने वाला पवन 850 किलोमीटर दूरी तय करके अपना सफर पूरा करेगा।
अब तक 14 बार ला चुका हूं कांवड़
पवन ने बताया कि वह अपना एक पैर सड़क हादसे में गंवा चुका है। आर्टिफिशियल पैर लग चुका है। वह अपना पैर गंवाने के बाद चौथी बार गंगोत्री से पैदल कांवड़ ला रहा है। वैसे अभी तक वह 14 बार कांवड़ ला चुका है। वह जब कांवड़ लेने घर से निकलता है तो इसके सारे दुख दर्द भगवान भोलेनाथ हर लेते हैं, ना थकान का अहसास होता है और ना ही चेहरे पर शिकन रहती है।
तिरंगा का मकसद भारत माता की संतान
पवन कुमार का कहना है कि वह कुंडली में एक कंपनी में नौकरी भी करता है। हाथों में तिरंगा लिए रहने का मकसद यह है कि हम सब भारत माता की संतान है और तिरंगा हाथ में लेते ही एक जोश आ जाता है। पवन जहां से भी गुजरता है, उसे देखने और उसके साथ फोटो खिंचाने के लिए भीड़ जमा हो जाती। हर कोई पवन के जज्बे को सलाम करता नजर आता है।
Shantanu Roy
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