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तमाम स्वास्थ्य सुविधाओं के बाद भी फरवरी में प्रसव के दौरान तीन प्रसूताओं की जान गई
गाजियाबाद: सुरक्षित मातृ-शिशु योजना के तहत तमाम स्वास्थ्य सुविधाओं के बाद भी जिले में प्रसूताओं की मौत रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. फरवरी में लोनी में दो और मुरादनगर में एक महिला की मौत हो गई. वित्तीय वर्ष में 22 प्रसूताओं की मौत हुई है. दो मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग ऑडिट नहीं कर पाया है.
पीएमएसएमए (प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान) के तहत गर्भवती महिलाओं की सरकारी स्वास्थ्य सुविधा केंद्र में प्रसव से पूर्व जांच की जाती है. गर्भवती महिलाओं की एनीमिया व बीपी समेत अन्य जांच की जाती हैं. इसके अलावा प्राइवेट अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा भी दी जा रही है. इसके अलावा अन्य योजना के तहत गर्भवती महिलाओं की निगरानी की जाती है. ताकि प्रसव के दौरान कोई समस्या न हो.
इसके बावजूद सरकारी व प्राइवेट संस्थान में प्रसव के दौरान जनपद में मौत होने का सिलसिला जारी है. जिले में अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 तक 22 मौत हो चुकी है. प्रत्येक मृत्यु पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से जांच करके शासन को रिपोर्ट भी भेजी जाती है, लेकिन दो मामलों में विभाग जांच भी नहीं कर सका है.
जिले में मातृ मृत्यु आंकड़े में कमी आई है. जहां वर्ष 2022 में 32 मौतें हुई थी. इसे गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचने वाली सभी गर्भवती की खून से लेकर अन्य जांच कराई जा रही हैं. हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का उपचार होने से वित्तीय वर्ष में अब तक 22 मौत हुई हैं. प्रयास है कि इसमें और कमी लाई जाए.
- डॉ. रविन्द्र कुमार, नोडल अधिकारी, पीएमजेएवाई