उत्तर प्रदेश

गांवों में फेल रहा डेंगू और मलेरिया संक्रमण

Admin4
18 Nov 2022 6:15 PM GMT
गांवों में फेल रहा डेंगू और मलेरिया संक्रमण
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बदायूं। गांवों में मच्छर जनित बीमारियां फैल चुकी हैं। सभी गांव डेंगू और मलेरिया की चपेट में आ चुके हैं। सबसे ज्यादा मच्छर जनित बीमारियां गांवों में मौजूद गंदगी की वजह से फैली हैं।
गांवों में संक्रामक रोग फैलाने में प्रधान भी कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गांवों को संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए दस हजार रुपये कि स्पेशल ग्रांट सभी ग्राम पंचायतों को दी जाती है, ताकि बरसात के मौसम से पहले ही गांव में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराने के साथ ही फागिंग कराई जा सके।
मगर, प्रधान इस धनराशि से यह जरूरी कार्य नहीं कराते हैं। नतीजा यह निकलता है कि बरसात का मौसम शुरू होते ही गांवों में संक्रामक बीमारियां फैल जाती हैं। हैरत की बात तो यह है कि बीमारियां फैलने के बाद जिम्मेदार अफसर गांवों में निरीक्षण करने तो जाते हैं, लेकिन वह बीमारियों से बचाने के लिए दी जाने वाली स्पेशल ग्रांट के बारे में नहीं पूछते हैं।
कोरोना काल से ही गांवों में संक्रमण पर काबू पाने के लिए दस हजार रुपये की स्पेशल ग्रांट दी जाने लगी थी। उस वक्त यह पैसा इसलिए भेजा गया था कि ग्राम प्रधान अपने स्तर से ही गांव में सेनेटाइजर का छिड़काव करा सकें। सेनेटाइजर का छिड़काव उस वक्त हुआ तो इसके बाद हर साल संक्रामक रोगों को रोकने के लिए सभी प्रधानों के खाते में पैसा भेजा जाने लगा।
इस पैसे को संक्रामक रोगों को रोकने के इस्तेमाल के बजाए दूसरे अन्य कार्यों में प्रधान खर्च करने लगे। शायद ही कोई ग्राम पंचायत ऐसी होगी जहां पर इस पैसे का उपयोग कीटनाशक दवाओं के छिड़काव या फिर फागिंग पर खर्च किया गया हो, अधिकांश प्रधान अपनी निजी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस पैसे का उपयोग कर लेते हैं और कागजों में ही दवाओं का छिड़काव दिखा दिया जाता है।
गांवों में संक्रामक रोगों से बचाव के लिए स्पेशल ग्रांट दी जाती है। ऐसे में किसी गांव में अगर प्रधान या फिर सचिव ने कीटनाशक दवाओं का छिड़काव नहीं कराया है तो इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी
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