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फर्जी अकाउंट के द्वारा छात्रों से डिग्री, सोशल मीडिया पर सीसीएसयू के नाम पर हो रहा फर्जीवाड़ा
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विवि के नाम पर फर्जीवाड़ा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। कभी विवि के नाम पर दूसरे राज्यों में फर्जी डिग्री बनाकर बेची जाती है तो अब नया ही मामला निकलकर सामने आया हैं, जिसमें सोशल मीडिया पर विवि के नाम से फर्जी अकाउंड बनाकर छात्र-छात्राओं से ठगी की जा रही है। बता दें कि विवि के छात्रों के सामने पहले एक परेशानी यह थी कि विवि का कोई ट्विटर एकाउंट नहीं था। ई-मेल और आॅफलाइन शिकायतों का निस्तारण समय पर नहीं हो पाता था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर एक छात्र ने जब यह पीड़ा सोशल मीडिया पर जाहिर की तो विवि की ओर से एक ट्विटर एकाउंड खोल दिया गया। मगर अब उस एकाउंट का लोग दुरुपयोग कर रहे है।
शुक्रवार को विवि कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला को एक ज्ञापन के माध्यम से छात्रों ने बताया है कि विवि के नाम पर सोशल मीडिया के माध्यम से छात्रों के साथ ठगी की जा रही है। जिसका जल्द से जल्द संज्ञान लिया जाए ताकि दूर-दराज में रहने वाले छात्र ठगो का शिकार होने से बच सकें। छात्र नेता विनीत चपराना ने बताया कि फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर विवि के नाम से दर्जनों एकाउंड संचालित किए जा रहे हैं, जो छात्रों को मार्कशीट, डिग्री और प्रैक्टिकल के नाम पर भ्रमित कर पैसे वसूलने का काम कर रहे है।
छात्रों का आरोप जाल साज गिरोह से मिले हैं विवि कर्मचारी: छात्रों ने विवि कर्मचारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर विवि के नाम पर छात्र-छात्राओं से जो ठगी की जा रही हैं, उसमें विवि के कुछ कर्मचारी जालसाजों के साथ मिले हुए हैं। ऐसे में विवि स्तर पर इस मामले की जांच कराई जानी चाहिए। इतना ही नहीं सोशल मिडिया पर विवि के नाम के जो एकाउंट शो हो रहे है उनपर विवि का फोटो लगा हुआ है। ऐसे में विवि के सही एकाउंट को पहचाना छात्रों के लिए मुश्किल हो गया है। ऐसे में विवि स्तर पर सभी एकाउंट की जांच करा इसमें मिले हुए लोगों पर कार्रवाई की जाए ताकि विवि की छवि धूमिल होने से बच सकें।
विवि के नाम पर फर्जी डिग्री का भी दूसरे राज्यों में चल रहा खेल: फर्जी एकाउंड ही नहीं बल्कि चौधरी चरण सिंह विवि के नाम पर दूसरे राज्यों में फर्जी डिग्री का खेल भी चल रहा है। जिसमें, बिहार, गुजरात, पंजाब, हरियाणा आदि राज्य शामिल हैं, लेकिन अब इसमें उत्तराखंड का नाम भी जुड़ गया है। यह बात विवि में जांच के लिए आने वाली डिग्रियों से सामने आई है। इस मामले में भी विवि अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है। ऐसे में छात्र-छात्राआें को खुद ही सावधान रहने की जरूरत है।