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संसाधनों की कमी, विपरीत परिस्थितियों से लड़ कर बेटियों ने हासिल किया ओहदा
बस्ती: संसाधनों की कमी हो या विपरीत परिस्थितियां, उनसे निकलते हुए मंजिल हासिल कर उच्च पद पर पहुंचा जा सकता है. यह उदाहरण है बस्ती के शिवहर्ष किसान पीजी कॉलेज की प्राचार्या प्रो. रीना पाठक और एसएसबी जवान व इंटरनेशनल खिलाड़ी शताक्षी पाल का. प्रो. पाठक ने विपरीत परिस्थिति में भी उच्च शिक्षा हासिल कर उच्च पद हासिल किया तो शताक्षी पाल ने परिवार का पूरा सहयोग नहीं मिलने पर भी इंटरनेशनल खिलाड़ी बनीं और एसएसबी जवान बनकर देश सेवा कर रही हैं.
बस्ती. शिवहर्ष किसान पीजी कॉलेज की प्राचार्या प्रो. रीना पाठक का जन्म 29 जनवरी 1977 को वाराणसी के ज्ञानपुर में हुआ. पिता व्यापार देखते थे तो माता गृहणी थीं. पिता ने बचपन में ही रीना की प्रतिभा को पहचाना और श्रेष्ठ शिक्षा दिलाना प्रारंभ किया. जिला परिषद बलिया विद्यालय ज्ञानपुर में इंटर तक शिक्षा पूरी की. स्नातक व स्नातकोत्तर की शिक्षा पूर्वांचल विश्वविद्यालय और इलाहाबाद से पूरी हुई. 1998 में प्रथम प्रयास के दौरान ही नेट क्वालीफाई कर लिया. 2001 में राजनीति विज्ञान की असिस्टेंट प्रोफेसर साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय अयोध्या में कार्यभार ग्रहण कर लिया. 2021 में उच्चतर आयोग से चयनित होकर शिवहर्ष किसान पीजी कॉलेज के प्राचार्या बनकर सेवाएं दे रही हैं.
शैक्षिक संघर्ष के बारे में प्रो. रीना पाठक ने बताया कि 1990 तक ज्ञानपुर स्थित निवासी स्थान पटेल नगर में केवल स्ट्रीट लाइट ही लगी थी. घरों में बिजली कम थी. ऐसे दौर में मेरे पिता ने मुझे इलाहाबाद पढ़ने के लिए भेजा, जो उस समय का साहसिक कदम माना जाता था. मैंने दृढ़ निश्चय कर संघर्ष कर अपना लक्ष्य हासिल किया.
सीमित संसाधन के बाद भी लक्ष्य निर्धारित है तो उसे हासिल किया जा सकता है. यही कारण है कि अब तक उनकी कई पुस्तके अंग्रेजी माध्यम से प्रकाशित हो चुकी हैं और वे दिन-प्रतिदिन नई ऊंचाई की ओर अग्रसर हैं. प्रो. रीना पाठक का मानना है कि मनुष्य में अपार संभावनाएं हैं. लक्ष्य पाने के लिए स्वयं को परीक्षा के लिए हमेश तैयार रखें.