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गोरखपुर: देश में पैदा होने वाले 100 में से एक बच्चे में विकृति जरूर होती है. कुछ विकृतियां इलाज से ठीक हो सकती हैं जबकि कुछ लाइलाज होती हैं जो जानलेवा भी हो सकती हैं. गर्भावस्था के 18वें से 22वें हफ्ते में विकृतियों की सटीक पहचान अल्ट्रासाउंड से हो सकती है.
ये जानकारी इंडियन रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र आहूजा ने रेडियोलॉजिस्टों के सेमिनार रिकॉन में दी. कहा कि 35 वर्ष से अधिक उम्र में मां बनने वाली महिलाओं के शिशु में जन्मजात विकृति का खतरा अधिक है. डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और थायराइड से जूझ रही महिलाओं के शिशु में विकृति हो सकती है. शराब और सिगरेट का सेवन भी गर्भस्थ को विकृत बना सकता है. शिशु के दिमाग का विकास 20वें हफ्ते के बाद होता है. 18वें से 22 वें हफ्ते में अल्ट्रासाउंड जरूर कराना चाहिए. अगर विकृति जानलेवा या लाइलाज हो तो 24वें हफ्ते से पहले गर्भपात भी कराया जा सकेगा
सरकार से विरोध दर्ज कराएंगे रेडियोलॉजिस्ट
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव जायसवाल ने कहा कि राज्य सरकार एमबीबीएस चिकित्सकों को छह महीने की ट्रेनिंग देकर अल्ट्रासाउंड करने का अधिकार देने जा रही है. यह फैसला मरीजों की सेहत से खिलवाड़ है. कोई भी चिकित्सक छह महीने की ट्रेनिंग में अल्ट्रासाउंड में परफेक्ट नहीं हो पाएगा. इसकी पढ़ाई तीन साल की होती है. सुप्रीम कोर्ट और एनएमसी की गाइडलाइन को भी सरकार दरकिनार कर रही है. संगठन फैसले के विरोध में सरकार को पत्र लिखेगा.
पीलिया में अगर न हो बुखार तो गाल ब्लैडर में कैंसर का खतरा
पटना के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मधुकर दयाल ने बताया कि पीलिया एक सामान्य बीमारी है जो पित्त बढ़ने से होती है. अगर पीलिया के दौरान मरीज को बुखार न हो रहा तो यह गाल ब्लैडर में कैंसर का संकेत हो सकता है. बॉउल-डक्ट में भी कैंसर पर पीलिया होने होता है. आमतौर पर 40 से अधिक उम्र में ही ऐसे मामले आते हैं. इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी में इसकी सर्जरी की जाती है. बेहद पतला इंजेक्शन डालकर गॉल-ब्लेडर से पित्त को बाहर निकाला जाता है.