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मेरठ: पुरानी कॉलोनियों पर मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) कार्रवाई कर रहा है और नई अवैध कालोनियों को अभयदान दे रहा है। मेरठ विकास प्राधिकरण की वेबसाइट पर जो अवैध कालोनियां की सूची अपलोड की गई हैं, उनमें बड़ी तादाद में पुरानी कालोनिया हैं, जबकि रोहटा रोड पर 17 कालोनी है, जो नई हैं। उनको प्राधिकरण इंजीनियरों ने सूचीबद्ध ही नहीं किया। रोहटा बाइपास पर नौ कालोनियां अवैध है। इनको भी प्राधिकरण इंजीनियरों ने अभयदान दे दिया। ये कॉलोनी भी अवैध है, लेकिन प्राधिकरण की सूची में सूचीबद्ध नहीं है।
कंकरखेड़ा और सरधना रोड पर 7 अवैध कालोनिया हैं, लेकिन मेरठ विकास प्राधिकरण के पोर्टल पर जो सूची अवैध कालोनियों की डाली गई है, उनमें एक भी अवैध कॉलोनी का जिक्र तक नहीं किया। बागपत रोड पर 11 अवैध कॉलोनी है। इनका जिक्र भी पोर्टल पर डाली गई सूची में नहीं किया गया है। यही नहीं, घाट रोड पर एक दर्जन अवैध कालोनियां है, इनमें से एक का नाम भी मेरठ विकास प्राधिकरण के पोर्टल पर डाली गई। सूची में उल्लेख नहीं है।
आखिर मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों ने इन अवैध कालोनियों को सूचीबद्ध नहीं करते हुए अभयदान दे दिया है। यही नहीं, शोभापुर से सटकर योगीपुरम में अवैध कॉलोनी हैं। इस कॉलोनी का नाम भी योगीपुरम दिया गया हैं। ये करीब 300 बीघा जमीन में इसका विस्तार किया गया है। धीरे धीरे इसका व्यापक स्तर पर विस्तार कर दिया गया, मगर यह अवैध कॉलोनी इंजीनियरों को दिखाई नहीं दी।
यहां पर योगीपुरम समेत सात कॉलोनी इसके आसपास में है, लेकिन प्राधिकरण के पोर्टल पर दी गई। सूची में इनका नाम गायब है। प्रथम दृष्टया जो सूची तैयार की गई है, उसमें भी इंजीनियरों ने महाखेल कर दिया, जो नई अवैध कालोनियां हैं। उनको अभयदान देते हुए उनको सूचीबद्ध ही नहीं किया गया। एक तरह से मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय को भी इंजीनियरों ने इस मामले में गुमराह कर दिया।
हालांकि प्राधिकरण उपाध्यक्ष के स्पष्ट आदेश है कि तमाम अवैध कालोनियों को सूचीबद्ध करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। यही नहीं, उन पर ध्वस्तीकरण कर भी किया जाए। इसी तरह से मोदीपुरम में भी 50 से ज्यादा ऐसी कॉलोनियां हैं, जिनको प्राधिकरण इंजीनियरों ने एमडीए के पोर्टल पर सूचीबद्ध नहीं किया गया। ठीक लावड़ रोड की भी स्थिति यही है।
यहां भी दो दर्जन कॉलोनी अवैध रूप से बनकर खड़ी हो गई है, लेकिन यहां भी प्राधिकरण की सूची से यह अवैध कॉलोनी आउट कर दी गई। मवाना रोड पर भी कुछ हाल वैसा ही है। करीब 60 कॉलोनी से ज्यादा मवाना रोड पर अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही हैं, जिनमें वर्तमान में तेजी से काम चल रहा है, लेकिन प्राधिकरण के पोर्टल से यह भी गायब है।
बड़ा सवाल यह है कि आखिर पुरानी कालोनियों पर ही कार्रवाई क्यों की जा रही हैं, नई कालोनियों पर कार्रवाई क्यों नहीं? अवैध नई कालोनियों पर शिकंजा क्यों नहीं कसा जा रहा है। रोहटा रोड पर सूर्य सिटी और उसके आसपास में तीन कालोनियां है। इन पर इनको भी सूचीबद्ध नहीं किया गया। एमडीए की वेबसाइट पर 366 अवैध कालोनियों के नाम सूचीबद्ध करते हुए अपलोड कर दिये गए हैं।
इसमें भी व्यापक स्तर पर इंजीनियरों ने खेल कर दिया हैं। इसमें ऐसी कॉलोनियों के नाम दे दिये हैं, जो पुरानी हैं। उधर, एमडीए वीसी का दावा है कि जोनवार सर्वे कराया गया, जिसमें ये अवैध कॉलोनी सामने आयी हैं, लेकिन इसमें उन्हीं कॉलोनी का उल्लेख किया गया, जिनकी इंजीनियरों से सेटिंग नहीं थी। सेटिंग वाली कॉलोनियों का उल्लेख एमडीए की वेबसाइट पर नहीं किया गया हैं।