उत्तर प्रदेश

राज्य में टीबी मरीजों की दवा पर संकट, खरीद प्रक्रिया फंसी

Admindelhi1
9 April 2024 5:30 AM GMT
राज्य में टीबी मरीजों की दवा पर संकट, खरीद प्रक्रिया फंसी
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एनएचएम ने चुनाव आचार संहिता लगने के बाद बजट जारी किया

मथुरा: प्रदेशभर के टीबी मरीजों के इलाज पर संकट है. बजट के अभाव में दवाओं की खरीद नहीं हो पा रही है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) व स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों की लापरवाही से टीबी मरीजों का बजट समय से जारी नहीं हो सका. एनएचएम ने चुनाव आचार संहिता लगने के बाद बजट जारी किया है लेकिन अब निर्वाचन आयोग की अनुमति बगैर टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती. इसके लिए चुनाव आयोग से अनुमति भी मांगी जा रही है. समस्या पर चर्चा के लिए शासन स्तर पर बैठक भी प्रस्तावित है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में वर्तमान में सवा छह लाख से अधिक टीबी मरीज चिह्नित हैं. एनएचएम के तहत टीबी की दवा के लिए करीब 4.12 करोड़ रुपए बजट चुनाव आचार संहिता लगने के बाद जारी किया गया है. आयोग की अनुमति बगैर दवा खरीद नहीं हो सकती है.

19 जिलों ज्यादा दिक्कत सबसे अधिक समस्या प्रदेश के 19 जिलों में है. यहां बजट के अभाव में दवा ही नहीं खरीदी गई है.

दो सप्ताह से अधिक रहे खांसी बुखार व गिरता वजन है लक्षण

टीबी के खात्मे के लिए जागरुकता जरूरी है. दो हफ्ते से अधिक खांसी, बुखार व लगातार वजन में गिरावट होने पर संजीदा हो जाएं. खांसी के साथ खून आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें. ये टीबी के लक्षण भी हो सकते हैं. पूरे इलाज से टीबी का खात्मा संभव है.

यह सलाह केजीएमयू रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने दी. वह विश्व क्षय रोग दिवस पर कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में टीबी की मुफ्त जांच व इलाज हो रहा है. पोषण के लिए 500 रुपये महीने प्रदान किए जा रहे हैं. स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में जाकर जांच के लिए अभियान चला रहे हैं.

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