उत्तर प्रदेश

अदालत ने नाम वाले कैरीबैग की बिक्री में दो लाख रुपये जुर्माने का आदेश बरकरार रखा

Admindelhi1
22 April 2024 5:30 AM GMT
अदालत ने नाम वाले कैरीबैग की बिक्री में दो लाख रुपये जुर्माने का आदेश बरकरार रखा
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तीन लाख जुर्माने के आदेश को अस्वीकार करते हुए फर्म पर दो लाख जुर्माने का आदेश बरकार रखा

लखनऊ: नाम वाले कैरीबैग बेचने पर एक फर्म के खिलाफ दर्ज मुकदमे में राज्य उपभोक्ता आयोग के दो सदस्यों के अलग-अलग जुर्माना लगाए जाने के मामले में चेयरमैन न्यायमूर्ति अशोक कुमार और सदस्य राजेंद्र सिंह ने सुनवाई की. तीन लाख जुर्माने के आदेश को अस्वीकार करते हुए फर्म पर दो लाख जुर्माने का आदेश बरकार रखा है. आयोग ने वादी को मानसिक प्रताड़ना के मद में दो लाख की क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि इससे अधिक राशि दिलाए जाने का कोई औचत्य नहीं है. साथ ही जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जिस मद में 5 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया था उसे बढ़ाकर हजार रुपये करने का आदेश दिया. सदस्य के तीन लाख जुर्माना और वाद व्यय 2 हजार रुपये अदा करने के आदेश पर असहमति जाहिर की. इसी के साथ मुकदमा निस्तारित कर दिया गया.

क्या था मामला लखनऊ के कैंपवेल रोड असियामऊ निवासी दुर्गेश गुप्ता ने फर्स्ट फ्राई विनायक कृष्णा इंटरप्राइजेज राजाजीपुरम से 20 अक्टूबर 2021 को 400 रुपये का सामान खरीदा था. वहां दुर्गेश को कैरीबैग के लिए 17 रुपये देने पड़े थे. जिस पर कंपनी का नाम और लोगो पा था. उन्होंने कंपनी को नोटिस भेजने के बाद जिला उपभोक्ता फोरम (प्रथम) लखनऊ में मुकदमा दायर किया. फोरम ने आदेश दिया कि कैरी बैग के मूल्य का भुगतान निर्णय के 45 दिन के अंदर 9 फीसदी ब्याज के साथ किया जाए. मानसिक प्रताड़ना के लिए हजार रुपये, वाद व्यय के लिए 5 हजार रुपये अदा किया जाए. दुर्गेश ने इस फैसले के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की और अनुतोष राशि बढ़ाने का अनुरोध किया. अपील पर सुनवाई आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार और सदस्य राजेंद्र सिंह ने की. आयोग के अध्यक्ष ने मानसिक प्रताड़ना के लिए दो लाख और क्षतिपूर्ति हजार देने का आदेश दिया तथा सदस्य राजेंद्र सिंह ने मानसिक प्रताड़ना के लिए तीन लाख तथा वाद व्यय 20000 हजार रुपये अदा करने का आदेश दिया. पीठ के दोनों सदस्यों में मतभेद के कारण इस मामले की दोबारा सुनवाई हुई.

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