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इलाहाबाद: पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के जासूस को 13 साल बाद एडीजे आठ राम अवतार प्रसाद की कोर्ट ने 10 साल कैद और 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. जासूस जमानत पर बाहर चल रहा था. सजा सुनाए जाते ही पुलिस ने उसको गिरफ्तार कर लिया.
डीजीसी क्रिमिनल दिलीप अवस्थी और एडीजीसी अरविंद डिमरी ने बताया कि 18 सितंबर 2011 को एटीएस ने मुखबिर की सूचना पर मरे कंपनी पुल के पास एटीएम के अंदर फिरदौस नगर, मनीटोला, डोरंडा, रांची झारखंड निवासी पाकिस्तानी आईएसआई जासूस फैसल रहमान उर्फ गुड्डू को गिरफ्तार किया था. उसके पास से पाकिस्तानी सिम, कई टिकट, वोटर आईडी, हाथ से बनाया नक्शा और कई कोड वर्ड में लिखे कागज बरामद हुए थे. एटीएस ने रेलबाजार थाने में शातिर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पूछताछ में फैसल ने पुलिस का बताया कि वह गगन प्लाजा होटल में रुका था. कैंट क्षेत्र की जानकारी लेने के लिए आया था. उसके ई-मेल की जांच करने पर एटीएस और पुलिस को कई अहम जानकारी हाथ लगी थी. रेलबाजार पुलिस ने चार्जशीट भेजी थी. आरोपी के खिलाफ 11 गवाह पेश किए गए. कोर्ट ने सबूतों और गवाहों के आधार पर धारा 121ए, 120 बी, 115, शासकीय गोपनीयता अधिनियम की धारा तीन और नौ में सजा सुनाई
फैसल ने खुद की पैरवी, हैंडराइटिंग मिलान से सजा
एडीजीसी अरविंद डिमरी और पंकज त्रिपाठी ने बताया कि फैसल रहमान काफी शातिर है. इसलिए उसने मुकदमे की पैरवी खुद की. उसको किसी वकील पर विश्वास नहीं था. मुकदमे में खुद बहस करने के लिए फैसल ने कोर्ट से धारा 32 में अनुमति मांगी थी. अनुमति मिलने पर उसने बहस की. कानपुर कैंट के हाथ से बनाए गए नक्शे और उसके जेल में बंद होने के दौरान आरटीआई द्वारा सेना से मांगे गए सवालों की हैंडराइटिंग मिलान से हुई है. वह उल्टे सीधे सवाल करके सेना से आरटीआई में जवाब मांगता था. जैसे यहां पर कौन सी बटालियन है, यह कब से काम कर रही है. दोनों राइटिंग उसकी ही निकली. ये सजा का बड़ा आधार बना.