उत्तर प्रदेश

व्यावसायिक कोर्स में गिनती के छात्र, अफसरों को अब आई याद

Admin Delhi 1
8 May 2023 9:30 AM GMT
व्यावसायिक कोर्स में गिनती के छात्र, अफसरों को अब आई याद
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इलाहाबाद न्यूज़: यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में व्यावसायिक शिक्षा योजना के तहत संचालित विभिन्न ट्रेड में छात्रसंख्या कम होने पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसर गंभीर हुए हैं. बोर्ड परीक्षा में पंजीकृत परीक्षार्थियों की तुलना में हर साल एक प्रतिशत से भी कम छात्र इन पाठ्यक्रमों को लेते हैं. जबकि प्रश्नपत्र बनवाने में ही यूपी बोर्ड लाखों रुपये खर्च कर देता है.

यह स्थिति तब है जब केंद्र और प्रदेश सरकार का पूरा फोकस कौशाल विकास और रोजगारपरक शिक्षा उपलब्ध कराना है. इस स्थिति को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर इन पाठ्यक्रमों में अधिक से अधिक छात्र-छात्राओं का पंजीकरण कराने के निर्देश दिए हैं. प्रदेश के 792 राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा योजना संचालित है.

शिकायत मिली है कि कुछ विद्यालयों के प्रधानाचार्य इन ट्रेड में जानबूझकर या उपेक्षापूर्ण रवैए के कारण छात्र-छात्राओं का प्रवेश नहीं लेते. कुछ प्रधानाचार्य स्वीकृत ट्रेड में प्रवेश न देकर अन्य विषयों में समायोजित कर ट्रेड बंद कर रहे हैं. जिससे साल दर साल इन पाठ्यक्रमों में छात्र संख्या कम होती जा रही है. इन ट्रेड में कम से कम 25 छात्र या विशेष परिस्थिति में दस छात्रों के प्रवेश का नियम है.

चार नए कोर्स में एक बच्चे का भी दाखिला नहीं: 2023 की हाईस्कूल परीक्षा से प्लम्बर, सोलर सिस्टम रिपेयरिंग, आपदा प्रबंधन और इलेक्ट्रीशियन के कोर्स शुरू किए गए थे. लेकिन 10वीं के 31,16,454 छात्र-छात्राओं में से किसी ने एक भी कोर्स नहीं लिया था. हेल्थ केयर में चार, ऑटोमोबाइल में आठ, रिटेल ट्रेडिंग 19, मोबाइल रिपेयरिंग में 22 व आईटी में 38 परीक्षार्थी थे. इंटर के रोजगारपरक पाठ्यक्रमों में भी छात्र संख्या काफी कम थी. इंटर के 27,68,180 परीक्षार्थियों में से सेक्रेटेरिएट एंड इंग्लिश टाइपिंग में महज 18, मधुमक्खी पालन में 19, इम्ब्रायडरी में 20, डेयरी टेक्नोलॉजी में 24, रेशमकीट पालन में 52, कोऑपरेटिव में 53 छात्र थे. इसी प्रकार अन्य पाठ्यक्रमों में भी बहुत कम छात्र थे. 2022 की बोर्ड परीक्षा में भी यही स्थिति थी.

व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में अधिक से अधिक छात्र-छात्राओं का प्रवेश सुनिश्चित कराने के निर्देश मिले हैं. जिन विद्यालयों में छात्रसंख्या न्यून होगी उनके प्रधानाचार्य का उत्तरदायित्व भी निर्धारित किया जाएगा.

-पीएन सिंह, डीआईओएस

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