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उत्तर प्रदेश
OBC आरक्षण के बिना निकाय चुनाव कराने के आदेश पर घमासान, बोले-केशव प्रसाद मौर्य
Shantanu Roy
28 Dec 2022 11:56 AM GMT
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बड़ी खबर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव पर आज हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर आरक्षण को लेकर जमकर आरोप लगा रहा है। उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद सियासी घमासान भी शुरू हो गया है। इसको लेकर विपक्षी नेताओं ने बीजेपी सरकार पर हमला किया है। उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव को लेकर मंगलवार 27 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है और ये चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के होगा. अब इस फैसले के खिलाफ यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. इस मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि जरूरी हुआ तो राज्य सरकार हाईकोर्ट के फैसले के क्रम में तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके सुप्रीम कोर्ट में अपील भी करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी। इसके बाद ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा। यदि आवश्यक हुआ तो राज्य सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी। इसके अलावा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है।
नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश का विस्तृत अध्ययन कर विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद सरकार के स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा,परंतु पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। आम आदमी पार्टी के विधायक संजय सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा कि "BJP पिछड़ों की विरोधी है।नगर निकाय के चुनाव में पिछड़ो का हक़ मारने के लिये जानबूझकर ग़लत आरक्षण कराया गया। बिना OBC आरक्षण के चुनाव कराना चाहती है BJP सरकार। सही सर्वे कराकर OBC आरक्षण दो फिर चुनाव कराओ आदित्यनाथ जी वरना सड़कों पर आंदोलन होगा।" बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि यूपी में बहुप्रतीक्षित निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक अधिकार के तहत मिलने वाले आरक्षण को लेकर सरकार की कारगुजारी का संज्ञान लेने सम्बंधी माननीय हाईकोर्ट का फैसला सही मायने में बीजेपी और उनकी सरकार की ओबीसी एवं आरक्षण-विरोधी सोच व मानसिकता को प्रकट करता है। यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पूरी निष्ठा व ईमानदारी से अनुपालन करते हुए ट्रिपल टेस्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था को समय से निर्धारित करके चुनाव की प्रक्रिया को अन्तिम रूप दिया जाना था, जो सही से नहीं हुआ. इस गलती की सजा ओबीसी समाज बीजेपी को जरूर देगा। इसको लेकर अपना दल (एस) ने कहा है कि OBC आरक्षण के बिना निकाय चुनाव किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। हम इस संदर्भ में माननीय लखनऊ उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले का अध्ययन कर रहे हैं। जरूरत पड़ी तो अपना दल ओबीसी के हक के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।
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