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बिजली दरें तय करने को लेकर आपत्तियों पर पावर कॉर्पोरेशन के जवाब पर उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाए हैं और कहा कि बिना सही जवाब मिले दरें न तय की जाएं।
राज्य विद्युत नियामक आयोग 2022-23 के लिए बिजली दरों को अंतिम रूप देने की कवायद में जुटा है। इस बीच बिजली दरों पर जनसुनवाई के दौरान उपभोक्ताओं और उपभोक्ता संगठनों की ओर से दाखिल आपत्तियों पर पावर कॉर्पोरेशन ने नियामक आयोग को गोलमोल जवाब भेजा है। कई अहम मुद्दों पर तो कॉर्पोरेशन ने चुप्पी ही साध रखी है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आपत्तियों पर कॉर्पोरेशन के जवाब पर सवाल उठाते हुए आयोग से बिना सही जवाब मिले दरें तय न करने की मांग की है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कॉर्पोरेशन के जवाब के विरोध मेंको नियामक आयोग में लोक महत्व का प्रत्यावेदन दाखिल किया।
इसमें कहा गया है कि विद्युत अधिनियम 2003 के टैरिफ निर्धारण प्रावधानों के तहत उपभोक्ताओं व उपभोक्ता संगठनों की आपत्तियों पर बिंदुवार सही जवाब देना बिजली कंपनियों के लिए न सिर्फ बाध्यकारी है बल्कि दरों के निर्धारण की प्रक्रिया में एक अहम कानूनी प्रक्रिया भी है। इसके बावजूद बिजली कंपनियां गोलमोल जवाब दाखिल कर आयोग को गुमराह कर रही हैं। उन्होंने कहा कि बिना सभी आपत्तियों पर स्पष्ट जवाब मिले दरों को अंतिम रूप नहीं दिया जाना चाहिए।
बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 22,045 करोड़ रुपये के एवज में बिजली दरों में अगले पांच वर्षों तक हर साल सात प्रतिशत की कमी के मामले में यह कहकर पल्ला झाड़ लिया गया है कि इस पर अपीलेट ट्रिब्यूनल में याचिका दाखिल की गई है। उन्होंने कहा कि केवल याचिका भर दाखिल कर देने से कोई कार्रवाई नहीं रुक सकती जब तक कि उस पर स्थगनादेश या कोई आदेश न हो।