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गोरखपुर में कांग्रेस का वोट शेयर 55 से 2 फीसदी पर लुढ़का
लखनऊ: पूर्वांचल की सबसे चर्चित और अहम गोरखपुर सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व हुआ करता था। इस सीट पर अब तक हुए 18 आम चुनाव में कांग्रेस 6 बार जीत चुकी है। लेकिन पिछले 40 सालों में उसे जीत नसीब नहीं हुई। पिछले छह दशकों में उसका वोट शेयर भी 55 फीसदी से लुढ़ककर 2 फीसदी पर पहुंच गया। बता दें, पिछले 9 चुनाव में गोरखपुर में कांग्रेस की जमानत जब्त हुई।
पहले तीन चुनाव कांग्रेस ने जीते: गोरखपुर सीट पर पहला चुनाव 1952 को हुआ। इस चुनाव में कांग्रेस के सिंहासन सिंह को विजय प्राप्त हुई। इसके बाद 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर सिंहासन सिंह जीतकर दिल्ली पहुंचे। चौथी लोकसभा के लिए 1967 में हुए चुनाव में कांग्रेस के विजय रथ को निर्दलीय प्रत्याशी गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ ने रोक दिया। कांग्रेस प्रत्याशी सिंहासन सिंह को हार का सामना करना पड़ा।
1971 में जीत के साथ वापसी: पांचवीं लोकसभा के लिए वर्ष 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के नरसिंह नारायण पाण्डेय ने जीत का परचम लहराया। लेकिन 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में गोरखपुर से भारतीय लोकदल (बीएलडी) के हरिकेश बहादुर ने कांग्रेस के नरसिंह नारायण पाण्डेय को करीब 2 लाख वोट के अंतर से शिकस्त दी।
1980 में हार और 1984 में मिली जीत: 1977 में मिली करारी हार के बाद 1980 के चुनाव में कांग्रेस के हरिकेश बहादुर ने जीत के साथ वापसी की। वहीं 1984 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर मदन पाण्डेय ने जीत के साथ वापसी की। उनका मुकाबला लोकदल के हरिकेश बहादुर से था।
चुनाव दर चुनाव जमानत जब्त: 1984 के चुनाव में मिली जीत के बाद हुए पांच चुनाव में कांग्रेस मुख्य दौड़ से बाहर रही। 1989 में कांग्रेस के मदन पाण्डेय 12.86 फीसदी वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। मदन की जमानत जब्त हुई। 1991 के चुनाव में कांग्रेस ने कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा। 1996 में कांग्रेस की टिकट पर हरिकेश बहादुर चुनाव मैदान में उतरे। 2.60 फीसदी वोट शेयर पाकर हरिकेश अपनी जमानत गंवा बैठे। 1998 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी हरिकेश बहादुर की जमानत जब्त हुई। हरिकेश को 3.59 फीसदी वोट शेयर के साथ संतोष करना पड़ा। 13वीं लोकसभा के लिए 1999 के आम चुनाव में कांग्रेस ने डॉ. जमील अहमद को अपना प्रत्याशी बनाया। कुल 3.08 वोट शेयर के साथ डॉ. जमील चौथे नंबर पर रहे, और उनकी जमानत जब्त हुई।
2004 और 2009 में रहा चौथा नंबर: साल 2004 के आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शरदेंदु पाण्डेय 4.85 फीसदी वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे। ये चुनाव भाजपा के योगी आदित्यनाथ ने जीता। 2009 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी लाल चंद निषाद 4.04 फीसदी वोट शेयर के साथ चौथे स्थान पर रहे। चुनाव भाजपा के योगी आदित्यनाथ ने 53.85 फीसदी वोट शेयर के साथ जीता।
पिछले दो चुनाव का हाल: 2014 के चुनाव में कांग्रेस के अष्टभुजा प्रसाद त्रिपाठी चौथे स्थान पर रहे। अष्टभुजा को 4.39 फीसदी वोट हासिल हुए। कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई। चुनाव भाजपा के योगी आदित्यनाथ ने जीता। 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने अब तक सबसे खराब प्रदर्शन किया। कांग्रेस प्रत्याशी मधुसूदन त्रिपाठी 1.94 वोट शेयर के साथ चौथे स्थान पर रहे।
2024 के चुनाव में कांग्रेस: 18वीं लोकसभ के चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन है। इंडी गठबंधन के सीट बंटवारे में गोरखुपर सीट सपा के खाते में है। इस सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद रवीन्द्र शुक्ला उर्फ रवि किशन को दूसरी बार मैदान में उतारा है। सपा से भोजपुरी फिल्म स्टार काजल निषाद और बसपा से जावेद अशरफ उर्फ जावेद सिमनानी मैदान में हैं। गौरतलब है गोरखपुर में 8 बार भाजपा का कमल खिल चुका है।