उत्तर प्रदेश

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रतिष्ठा इस बार दांव पर

Admindelhi1
2 April 2024 6:25 AM GMT
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रतिष्ठा इस बार दांव पर
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पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ने के कारण बड़ा सियासी नुकसान हुआ था

मुरादाबाद: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रतिष्ठा इस बार दांव पर है. असली चुनौती साख को बचाने की है. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ने के कारण बड़ा सियासी नुकसान हुआ था. कांग्रेस से गढ़ रहे रामपुर समेत मुरादाबाद और बिजनौर से कांग्रेस बुरी तरह से हार गई थी. कांग्रेस के बड़े और सेलिब्रिटी नेता चुनाव हार गए थे. पिछले लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद से इमरान प्रतापगढ़ी, रामपुर से संजय कपूर और बिजनौर से वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी चुनावी लड़ाई में बुरी तरह से पटखनी खाए थे. कांग्रेस इस बार सपा के साथ गठबंधन करके लड़ रही है और उसके खाते में मंडल की एकमात्र सीट अमरोहा है.

मुरादाबाद मंडल में कभी कांग्रेस का बोलबाला रहा. मंडल-कमंडल के दौरान बदले सियासी समीकरणों से कांग्रेस हाशिये पर आती चली गई. पिछले तीन लोकसभा चुनाव नतीजों को देखें तो कांग्रेस को फायदे से ज्यादा नुकसान ज्यादा हुआ. कांग्रेस कार्यकाल 09 में हुए चुनाव में कांग्रेस को कुछ ठीक-ठाक वोट मिला पर इसके बाद 14 में एनडीए के उभरने से लोस चुनाव का स्वरूप बदल गया. 04 में सरकार बनाने वाली कांग्रेस 09 में मुरादाबाद मंडल में सिर्फ मुरादाबाद सीट हासिल कर सकी. कांग्रेस प्रत्याशी अजहरउद्दीन ने 39.59 प्रतिशत वोट हासिल किए. रामपुर में भी कड़े मुकाबले में बेगम नूरबानो भाजपा की जयाप्रदा से तीस हजार वोटों से पिछड़ गईं. संभल में चन्द्र विजय सिंह 18.1 प्रतिशत वोट लेकर तीसरे नंबर पर पहुंच सके.

बिजनौर से लड़े पूर्व मंत्री सईदुज्जमा भी 85 हजार वोट लेकर 12 प्रतिशत वोट पा सके. नगीना और अमरोहा लोकसभा सीट पर कांग्रेस की बुरी स्थिति रही.

14 में लोस चुनाव पूरी तरह से भगवा रंग में रंगा रहा. भाजपा मे मंडल में सभी छह सीटें जीतीं. कांग्रेस की स्थिति यहां बदतर रही. रामपुर में कांग्रेस को 16.33 प्रतिशत वोट मिले, जबकि मुरादाबाद से लड़ी बेगम नूरबानो को कुल 19 हजार वोट मिल सके, लेकिन 19 में सपा-बसपा का गठजोड़ ने मुरादाबाद मंडल में भाजपा के कब्ले वाली सभी छह सीटें जीत लीं. पिछली बार कांग्रेस अपने दम पर सभी सीटों पर लड़ी. मंडल में 19 में कांग्रेस के सियासी सूरमा जमानत बचाने में नाकाम रहे.

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