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बस्ती सदर 61 पर 40 साल पूर्व मिली थी कांग्रेस को जीत
बस्ती: लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया है. बस्ती सदर 61-लोकसभा सीट की बात करें तो वर्तमान में यह सीट पिछले दो बार से भाजपा के खाते में हैं. इस सीट पर कांग्रेस का विजयरथ पिछले 35 साल से थमा हुआ है.
पार्टी को 40 वर्ष पूर्व आखिरी बार 1984 में राजीव लहर में अंतिम बार कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी रामअवध प्रसाद को जीत मिली थी. 1989 में हुए आम चुनाव में यहां पर कांग्रेस के सिटिंग एमपी रहे रामअवध प्रसाद को जनता दल के प्रत्याशी कल्पनाथ सोनकर ने शिकस्त दी थी. इसी चुनाव के बाद यहां कांग्रेस का जनाधार लगातार गिरता चला गया और 40 वर्षों से पार्टी की जीत नसीब नहीं हुई. हालांकि वह हर बार अपना कंडीडेट चुनाव मैदान में उतारती रही मगर पार्टी के वोट प्रतिशत लगातार घटते चले गए. नतीजा यह हुआ कि वोटर के लाख के घटकर हजार में आ गए. कांग्रेस से अच्छी पोजीशन सपा और बसपा की रही है. अंतिम बार कांग्रेस ने सीट पर वर्ष 1984 के चुनाव में विजयश्री हासिल की थी.
इसके बाद के सभी लोकसभा चुनावों में पार्टी सूपड़ा साफ रहा. वहीं बसपा इस सीट पर अब तक दो बार 2004 और 2009 में फतह हासिल कर चुकी है. हालांकि समाजवादी पार्टी ने यहां से मजबूती से चुनाव लड़ती आ रही है लेकिन उसे अभी तक बस्ती लोकसभा सीट पर जीत का स्वाद नहीं मिल सका है. भाजपा और बसपा के बाद वह तीसरे नंबर की पार्टी बनी ही रही है.
रामलहर में बीजेपी ने लहराया था परचम
रामलहर ने पहली बार बीजेपी जीत दिलाई थी. डीआइजी रहे श्यामलाल ने भाजपा के टिकट पर 1991 में पहली बार कमल खिलाया था. उसके बाद 1996, 1998 और 1999 में श्रीराम चौहान ने कमल खिलाकर हैट्रिक लगाई थी.
इस बार कांग्रेस मैदान से है बाहर
लोकसभा सीट पर कांग्रेस इस बार चुनाव मैदान से ही बाहर है. इंडिया गठबंधन में सपा व कांग्रेस के गठबंधन में यहां की सीट सपा को दे दी गई है. पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता सपा कंडीडेट को जिताने में जुटे हुए हैं.