उत्तर प्रदेश

मेडिकल बीमा में कम्पनियों ने इलाज की रेट घटाई, नर्सिंग होम संचालकों ने जताई नाराजगी, अस्पतालों में मरीजों की भर्ती पर आफत

Renuka Sahu
18 July 2022 2:58 AM GMT
मेडिकल बीमा में कम्पनियों ने इलाज के रेट घटा दिए हैं। इस पर नर्सिंग होम संचालकों ने नाराजगी जताई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मेडिकल बीमा में कम्पनियों ने इलाज के रेट घटा दिएमेडिकल बीमा में कम्पनियों ने इलाज के रेट घटा दिएहैं। इस पर नर्सिंग होम संचालकों ने नाराजगी जताई है। यही नहीं, प्राइवेट अस्पतालों ने मरीजों को भर्ती करने से ही इनकार कर दिया है। नर्सिंग होम संचालकों का बीमा कम्पनियों के साथ टीपीए (थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर) से विवाद पैदा हो गया है। यही नहीं, नर्सिंग होम एसोसिएशन ने आपात बैठक कर फैसला किया कि अगर रेट नहीं बढ़ाए गए तो टीपीए से करार खत्म कर ऐसे मरीजों की भर्ती बंद कर दी जाएगी।

मेडिकल बीमा के बाद टीपीए हर नर्सिंग होम से अलग-अलग करार कर मरीजों को इलाज की सुविधा देते हैं लेकिन एक जुलाई से टीपीए ने डॉक्टर की एक विजिट 600 रुपये देने का रेट तय किया है। इससे पहले यह एक से दो हजार तक प्रति विजिट के दिए जाते रहे हैं। इसी तरह आईसीयू में मरीज के भर्ती होने पर 10-20 हजार की जगह अब चार हजार रुपये तय किए गए हैं। जनरल वार्ड के बेड के लिए 15 सौ की जगह अब एक हजार रुपये प्रतिदिन, प्राइवेट रूम के 4000 से 2500 रुपये कर दिए गए हैं। इसी तरह गाल ब्लैडर की सर्जरी, घुटना, कूल्हा प्रत्यारोपण के इलाज में भी 30 से 40 फीसदी तक रेट कम कर दिए गए हैं। नर्सिंग होम संचालकों ने ऐतराज जताते हुए कहा कि आयुष्मान योजना की देखादेखी रेट कम किए जा रहे हैं।
मुश्किलें पैदा होंगी
नर्सिंग होम एसोसिएशन की आपात बैठक बुलाकर गंभीर मंत्रणा की गई। संचालकों ने कम रेट पर मरीजों की भर्ती और ऑपरेशन से हाथ खड़े कर लिए हैं। पैरामाउंट के बाद स्टार्स से भी विवाद होने पर मंत्रणा का दौर शुरू करने पर सहमति जताई गई है लेकिन यह फैसला भी लिया गया है कि मेडिकल बीमा में कम रेट पर इलाज संभव नहीं होगा। महंगाई का दौर है, ऐसे में रेट बढ़ाने की जगह कम करने से मुश्किलें पैदा होंगी।
कानपुर नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष, डॉ.एमके सरावगी ने कहा कि बैठक में सभी सदस्यों ने कम रेट लिस्ट पर आपत्ति दर्ज करा दी है। करार रद करने की चेतावनी दे दी है। रेट कम करने से मेडिकल बीमा ले चुके मरीजों को मुश्किल होगी। बातचीत के दरवाजे खुले हैं पर कम रेट मंजूर नहीं है।
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