उत्तर प्रदेश

नियमों में झोल का लाभ उठा रहे व्यावसायिक भवन निर्माता, अग्निशमन विभाग के पास चालान का अधिकार ही नहीं

Admin4
14 Sep 2022 4:21 PM GMT
नियमों में झोल का लाभ उठा रहे व्यावसायिक भवन निर्माता, अग्निशमन विभाग के पास चालान का अधिकार ही नहीं
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वो आम कहावत है ना कि बिना डंडे का हवलदार और बिना बंदूक का जवान भला किस काम का…। कुछ ऐसा ही हाल है अग्निशमन विभाग का। मतलब अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) बांटेंगे, निरीक्षण भी करेंगे, पर चालान एक रुपये का भी नहीं कर सकते।

दरअसल राजधानी के लेवाना सुइट्स होटल में गत दिनों हुए अग्निकांड के मामले के बाद प्रदेश में अग्निसुरक्षा का मुद्दा गर्माया हुआ है। होटल में हुए अग्निकांड के पीछे अग्निशमन विभाग को दोषी बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने होटल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, पर यहां तो असलियत में अग्निशन विभाग के अधिकारियों को तो कार्रवाई का अधिकार ही नहीं है।

एक्ट में संशोधन पर कार्रवाई का अधिकार नहीं

वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश में फायर प्रिवेंशन एंड फायर सेफ्टी एक्ट लागू हुआ था। इस एक्ट में वर्ष 2015 में संशोधन किया गया। वहीं वर्ष 2019 में केंद्र सरकार के 'माॅडल बिल आन मेंटीनेंस आफ फायर एंड इमरजेंसी सर्विस' को भी प्रदेश में प्रभावी किया गया। हालांकि आजतक किसी भी एक्ट में अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को कार्रवाई करने या जुर्माना लगाने का अधिकार नहीं दिया गया है। मानकों की अनदेखी मिलने पर अधिक से अधिक एनओसी का रिन्यूअल न करने, प्राथमिकी दर्ज कराने व सक्षम विभाग से कार्रवाई की लिखित अनुशंसा करने भर का अधिकार प्राप्त है।

बेबस अग्निशम विभाग का खौफ नहीं

जांच का सीमित दायर होने व कार्रवाई का अधिकार न होने के कारण मानकों का उल्लंघन करने वालों में अग्निशमन विभाग के अधिकारियों का कोई खौफ नहीं है। इसी वजह से शहर के 70 प्रतिशत से अधिक व्यवसायिक भवनों में मानकों का उल्लंघन हो रहा है। कहीं भूमिगत तल में हॉस्पिटल व कमर्शियल संस्थान चल रहे हैं तो कहीं पर बिना फायर एनओसी व सुरक्षा उपकरण के संस्थान चलाये जा रहे हैं।

नया एक्ट बनाने की कवायद शुरू, मिलेगा अधिकार

लेवाना होटल अग्निकांड के बाद अग्निशमन विभाग की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर अब विभागीय अधिकारियों को भी कार्रवाई की पॉवर से लैस करने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार के मॉडल बिल ऑन मेंटिनेंस ऑफ फायर एंड इमरजेंसी सर्विस के अनुरूप ही एक नया एक्ट बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इस नये एक्ट से अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को मानकों की अनदेखी दिखने पर जुर्माना चार्ज करने ओर भवन को सील करने का अधिकार मिलेगा। साथ ही 15 मीटर से भी कम ऊंचाई वाली बिल्डिंग में जांच कर सकेंगे।

बहुमंजिला इमारत में रखना होगा फायर मैन

विभाग की मानें तो नये एक्ट के लिए भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार अब फायर प्रिवेंशन एंड फायर सेफ्टी एक्ट के दायरे में आने वाले भवनों को लिफ्ट मैन की तरह फायर मैन भी रखना अनिवार्य होगा। ताकि आग की घटना होने पर तत्काल व समुचित रूप से अग्निशमन यंत्रों का उपयोग कर नुकसान को कम से कम किया जा सके। वहीं इसी फायर मैन से समय-समय पर रिपोर्ट ली जाएगी।

वर्तमान में अबतक फायर सेफ्टी अधिकारियों को जुर्माने का अधिकार देय नहीं है। पर केंद्र सरकार के 2019 के मॉडल के अनुरूप एक नया एक्ट बनाने की कवायद चल रही है। जिसमें फायर सेफ्टी अधिकारियों को मानकों का उल्लंघन मिलने पर जुर्माना वसूलने और भवन को सीज करने का अधिकार भी देय होगा

न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar

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