उत्तर प्रदेश

उज्जैन में महाकाल से होली की रंगो की शुरुआत, कश्मीर से कन्याकुमारी तक जश्न में डूबा देश

Renuka Sahu
18 March 2022 2:12 AM GMT
उज्जैन में महाकाल से होली की रंगो की शुरुआत, कश्मीर से कन्याकुमारी तक जश्न में डूबा देश
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फाइल फोटो 

देशभर में होली के त्यौहार की धूम है. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में संध्या आरती से ही होली की शुरूआत हो गई.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देशभर में होली के त्यौहार की धूम है. उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में संध्या आरती से ही होली की शुरूआत हो गई. भक्त और भगवान के बीच जमकर गुलाल उड़ा. देश भर से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर में होली खेलने पहुंचे हैं. देशभर में होलिका दहन के बाद होली की शुरुआत हो जाती है. सबसे पहले उज्जैन स्थित बाबा महाकाल के आंगन में होली मनाई गई. परंपरा के मुताबिक संध्या आरती में भक्तों ने बाबा को अबीर और गुलाल लगाया. आरती के बाद महाकाल मंदिर परिसर में मंत्रोचार के साथ होलिका दहन किया गया. मंदिर के पंडितों और पुजारियों ने रंगों के साथ फूलों की भी होली खेली. बाबा के दरबार में पहुंचे भक्तों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी. पूरे देश में रंगों के त्योहार की शुरुआत हो गई है. होली से पहले होलिका दहन की शाम सबसे पहले महाकाल को फूलों के रस से स्नान कराया जाता है, फिर परंपरा के मुताबिक भगवान शिव का श्रृंगार होता है और इसके बाद राजपुरोहित महाकाल को गुलाल लगाते हैं.

महाकाल को गुलाल लगाकर होली की शुरुआत
यह परंपरा केवल दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में ही निभाई जाती है. इस अलौकिक दृश्य को आत्मसात करने के लिए देश भर से शिव भक्त उज्जैन में महाकाल के दरबार पहुचे. आरती के बाद पुरोहित बाबा के प्रसाद के तौर श्रद्धालुओं पर रंगों की बौछार करते हैं और इसके साथ ही होली की औपचारिक शुरुआत हो जाती है. महाकाल को गुलाल लगाने के बाद मंदिर के प्रांगण में विधि विधान के साथ होलिका दहन किया जाता है. शिवभक्त बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं. अबीर-गुलाल से पूरा माहौल रंगीन हो जाता है. बता दें कि मंदिर में मौजूद रहने वाले श्रद्धालु 2 साल से कोरोना के चलते बाबा महाकाल संग होली नहीं मना पा रहे थे, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण की तमाम पाबंदी खत्म होने के बाद भारी संख्या में श्रद्धालु बाबा महाकाल के धाम पहुंच कर उत्सव में शामिल हुए.
होली के रंग में डूबा मथुरा
उधर होली के रंग में मथुरा नगरी भी सराबोर है. द्वारकाधीश मंदिर में जमकर गुलाल उड़े. इस मौके पर मथुरा में लोगों ने जमकर ठुमके लगाए. यहां हर तरफ होली के रंग दिख रहे हैं. यहां की लट्ठमार होली देशभर में प्रसिद्ध है. महिलाएं पुरुषों पर लठ से वार करती है. इस दौरान भारी संख्या में महिलाएं और पुरुष होली खेलने के लिए जुटते हैं.
अवध की होली भी काफी प्रसिद्ध है. जात-पात और धर्म की दीवार मिटाकर सियाराम के दरबार में लोग होली खेल रहे हैं. श्रीराम की नगरी अयोध्या में रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास और बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी जो करीब तीन दशक तक मस्जिद विवाद को लेकर अदालत में आमने-सामने रहे उनके बीच भी अब भव्य मंदिर निर्माण के साथ ही दूरियां मिट गई हैं और दोनों साथ मिलकर देश को शांति और सौहार्द का संदेश दे रहे हैं. रामदरबार में साथ होली खेलने के बाद अयोध्या के साधु संतों ने मुस्लिम समाज के लोगों के साथ भी इस त्यौहार की खुशियां बांट रहे हैं. गुजरात के वडोदरा में स्कूली बच्चों ने भी जमकर होली खेली.
बीएसएफ जवानों की होली
जम्मू-कश्मीर में भी होली के रंग में लोग डूबे हैं. देश की सुरक्षा में तैनात जवानों के बीच भी होली का रंग चढ़ा हुआ है. जम्मू के गजानसू इलाके में बीएसएफ के जवान होली की मस्ती डूबे नजर आए.
गंगा घाट पर होली
उधर, ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में विदेशी सैलानियों पर भी होली का खुमार छाया हुआ है. यहां होली में रंगों की जगह फूलों का इस्तेमाल किया गया. स्वामी चिदानंद ने विदेशी श्रद्धालुओं पर फूलों की वर्षा की, विदेशी श्रद्धालु होली के जश्न में पूरी तरह से डूबे नजर आए. हर साल होली पर परमार्थ निकेतन में बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु जुटते हैं. रंगों का लुत्फ उठाते हैं और स्वामी चिदानंद मुनि से अध्यात्म का ज्ञान भी प्राप्त करते हैं. उधर यूपी में वाराणसी के गंगा घाट पर स्थानीय कलाकार भी होली के रंग में डूबे नजर आ रहे हैं. कलाकारों ने होली के गीत गाए और एक दूसरे को रंग और अबीर लगाया. तो वही दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, यूपी और बिहार के कई हिस्सों में लोगों ने होलिका दहन के बाद होली की शुरुआत कर दी है. लोग उमंग और उल्लास के साथ एक दूसरे को रंग और अबीर लगा रहे हैं.
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