उत्तर प्रदेश

सीएम योगी वनटांगियों की उम्मीदों के दीपक में भरोसे की बाती प्रज्ज्वलित करने आएंगे

Admin Delhi 1
23 Oct 2022 7:01 AM GMT
सीएम योगी वनटांगियों की उम्मीदों के दीपक में भरोसे की बाती प्रज्ज्वलित करने आएंगे
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गोरखपुर न्यूज़: वनटांगियों के जीवन में खुशहाली का प्रकाश लाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर दीपपर्व की भांति इस बार भी उनकी उम्मीदों के दीपक में अपनत्व का तेल भर भरोसे की बाती प्रज्ज्वलित करने आ रहे हैं। बतौर मुख्यमंत्री योगी की यह लगातार छठवीं दिवाली होगी जब वह सौ साल तक उपेक्षा के अंधेरे में जीने की विवश वनटांगिया समुदाय के बीच पर्व की खुशियां बाटेंगे। हालांकि वनटांगियों की आस में उजास लाने का यह अखंड सिलसिला उन्होंने 13 साल पूर्व 2009 के दीपपर्व से ही प्रारंभ कर दिया था। 24 अक्टूबर को मुख्यमंत्री वनवासियों के साथ दीपावली मनाने के साथ जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों को करीब 80 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की सौगात भी देंगे। सीएम इस अवसर पर करीब 37 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास एवं 43 करोड़ रुपये की लागत वाली विकास परियोजनाओं का लोकार्पण करेंगे। वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन का उल्लास छाया हुआ है। प्रशासन अपनी तैयारियों में जुटा है तो गांव के लोग सीएम के स्वागत में अपने-अपने घर-द्वार की साफ सुथरा बनाने, सजाने-संवारने में। महिलाओं की टोलियां गंवई स्वागत गीत के तराने छेड़ रही हैं। तैयारी ऐसी मानों घर का मुखिया त्योहार पर अपने घर लौट रहा हो। सब कुछ स्वतः स्फूर्त। ऐसा होना स्वाभाविक भी है। इन वनटांगिया समुदाय के लिए योगी आदित्यनाथ तारणहार का नाम और पहचान है। इनकी सौ साल की गुमनामी और बदहाली को सशक्त पहचान और अधिकार दिलाने के साथ विकास संग कदमताल कराने का श्रेय सीएम योगी के ही नाम है। योगी और वनटांगिए एक-दूजे अटूट नाता जोड़ चुके हैं। वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में हर साल दीपावली मनाने वाले मुख्यमंत्री के प्रयासों से इस गांव समेत गोरखपुर-महराजगंज के 23 गांवों और प्रदेश की सभी वनवासी बस्तियों में विकास और हक-हुकूक का अखंड दीप जल रहा है। वास्तव में कुसम्ही जंगल स्थित वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन एक ऐसा गांव है जहां दीपोत्सव पर हर दीप "योगी बाबा" के नाम से ही जलता है। साल दर साल यह परंपरा ऐसी मजबूत हो गई है कि साठ साल के बुर्जुर्ग भी बच्चों सी जिद वाली बोली बोलते हैं, बाबा नहीं आएंगे तो दीया नहीं जलाएंगे।

जनकल्याणकारी योजनाओं से संतृप्त है जंगल तिकोनिया नम्बर तीन: सिर्फ जंगल तिकोनिया नम्बर तीन की ही बात करें तो यहां रहने वाले सभी 461 परिवार पात्रता के मुताबिक जमीनों का मालिकाना हक पाने के साथ शासन की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से संतृप्त हैं। इस गांव में योगी आदित्यनाथ द्वारा स्थापित गोरक्षनाथ हिन्दू विद्यापीठ और कम्पोजिट विद्यालय शिक्षा का उजियारा फैला रहे हैं। गांव में एक आंगनबाड़ी केंद्र भी क्रियाशील है। 18 परिवार पात्र गृहस्थी और 437 परिवार अंत्योदय कार्ड से खाद्यान्न योजना का लाभ उठा रहे हैं। सभी 437 अंत्योदय कार्ड धारकों के निशुल्क इलाज हेतु आयुष्मान कार्ड भी बन चुके हैं। 439 परिवारों को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान मिल गए हैं और सभी घरों में शौचालय की सुविधा है। गांव में एक सामुदायिक शौचालय भी है। विद्युतीकरण योजना में संतृप्त इस गांव में सभी के पास सरकार से मिला बिजली कनेक्शन है। 400 परिवारों को उज्ज्वला योजना से मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन मिल चुका है जबकि 455 जॉब कार्ड धारक मनरेगा से रोजगार पाते हैं। 226 लक्ष्य के सापेक्ष 216 को जमीनों का पट्टा मिल गया है, शेष 10 का पट्टा भी प्रक्रिया में है। जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में 71 को वृद्धावस्था पेंशन, 29 को विधवा पेंशन, 17 को दिव्यांग पेंशन का लाभ मिल रहा है तो 8 बच्चियां मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना में आच्छादित हैं। युवक मंगल दल व महिला मंगल दल से जुड़कर युवक-युवतियां अपने कौशल को निखार रही हैं। गांव सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से संतृप्त है। इतना ही नहीं यहां की महिलाओं को स्वावलंबन की राह पर चलने की भी मुकम्मल व्यवस्था है। एनआरएलएम के तहत यहां गठित 20 महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर 252 महिलाएं आत्मनिर्भरता की इबारत लिख रही हैं। गांव में कई दुकानों का संचालन महिला समूहों की तरफ से किया जा रहा है। इन समूहों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए सहयोग हेतु बैंकिंग कोरेस्पोंडेंट (बीसी) सखी की भी नियुक्ति सरकार की तरफ से की गई है।

80 करोड़ रुपये का दिवाली गिफ्ट देंगे सीएम योगी: 24 अक्टूबर को वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में दीपपर्व मनाने के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिले की कई ग्राम पंचायतों को 80 करोड़ रुपये का दिवाली गिफ्ट भी देंगे। मुख्यमंत्री 34.55 करोड़ रुपये की लागत से 95 ग्राम पंचायतों के लिए ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन कार्यो तथा 2.48 करोड़ रुपये की लागत से 62 ग्राम पंचायतों के लिए कामन सर्विस सेंटर की स्थापना कार्य का शिलान्यास करेंगे। ये कार्य पंचायत राज्य विभाग की तरफ से कराए जाएंगे। इसके साथ ही वह 24 ग्राम पंचायतों में परफॉर्मेंस ग्रांट से कराए गए करीब 21.10 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का लोकार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री द्वारा ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की तरफ से पूर्वांचल विकास निधि के तहत कराए गए 1.33 करोड़ रुपये तथा त्वरित आर्थिक विकास योजना के अंतर्गत कराए गए 20.46 करोड़ रुपये के विकास कार्यों को भी जनता को समर्पित करेंगे।

कौन हैं सौ साल तक उपेक्षित रहे वनटांगिया: अंग्रेजी शासनकाल में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई। इसकी भरपाई के लिए अंग्रेज सरकार ने साखू के पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया। साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की टांगिया विधि का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए। कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं। 1947 में देश भले आजाद हुआ लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा। जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास न तो खेती के लिए जमीन थी और न ही झोपड़ी के अलावा कोई निर्माण करने की इजाजत। पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं। और तो और इनके पास ऐसा कोई प्रमाण भी नहीं था जिसके आधार पर वह सबसे बड़े लोकतंत्र में अपने नागरिक होने का दावा कर पाते। समय समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय।

इन अहिल्या के लिए राम की भूमिका में आये योगी: वर्ष 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर के सांसद बने। उनके संज्ञान में यह बात आई कि वनटांगिया बस्तियों में नक्सली अपनी गतिविधियों को रफ्तार देने की कोशिश में हैं। नक्सली गतिविधियों पर लगाम के लिए उन्होंने सबसे पहले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को इन बस्तियों तक पहुंचाने की ठानी। इस काम में लगाया गया उनके नेतृत्व वाली महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं एमपी कृषक इंटर कालेज व एमपीपीजी कालेज जंगल धूसड़ और गोरखनाथ मंदिर की तरफ से संचालित गुरु श्री गुरु गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा को। जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन वनटांगिया गांव में 2003 से शुरू ये प्रयास 2007 तक आते आते मूर्त रूप लेने लगे। इस गांव के रामगणेश कहते है कि महराज जी (योगी आदित्यनाथ को वनटांगिया समुदाय के लोग इसी संबोधन से बुलाते हैं) हम लोगों के लिए उस राम की भूमिका में आये जिन्होंने अहिल्या का उद्धार किया था।

जब योगी आदित्यनाथ पर हुआ मुकदमा: वनटांगिया लोगों के बीच शिक्षा की रोशनी पहुंचाने के योगी आदित्यनाथ के प्रयासों के खास सहयोगी एमपीपीजी कालेज जंगल धूसड़ के प्राचार्य डॉ प्रदीप रॉव बताते हैं कि वन्यग्रामों के लोगों को जीवन की मुख्यधारा में जोड़ने के दौरान 2009 में योगी जी को मुकदमा तक झेलना पड़ा। वनटांगिया बच्चों के लिए एस्बेस्टस शीट डाल एक अस्थायी स्कूल का निर्माण योगी के निर्देश पर उनके कार्यकर्ता कर रहे थे, इस पर वन विभाग ने इस कार्य को अवैध बताकर एफआईआर दर्ज कर दी। योगी ने अपने तर्कों से विभाग को निरुत्तर किया और अस्थायी स्कूल बन सका।

2009 में शुरू की वनटांगियों के साथ दिवाली मनाने की परंपरा: वनटांगियों को सामान्य नागरिक जैसा हक दिलाने की लड़ाई शुरू करने वाले योगी ने वर्ष 2009 से वनटांगिया समुदाय के साथ दिवाली मनाने की परंपरा शुरू की तो पहली बार इस समुदाय को जंगल से इतर भी जीवन के रंगों का अहसास हुआ। फिर तो यह सिलसिला बन पड़ा। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी इस परंपरा का निर्वाह करना नहीं भूलते हैं। इस दौरान बच्चों को मिठाई, कापी-किताब और आतिशबाजी का उपहार देकर पढ़ने को प्रेरित करते हैं तो सभी बस्ती वालों को तमाम सौगात।

पांच दिवाली में मिटा दी सारी कसक: मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने महज पांच दिवाली में वनटांगिया समुदाय की सौ साल की कसक मिटा दी है। लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाने वाले योगी ने सीएम बनने के बाद अपने कार्यकाल के पहले ही साल वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दे दिया। राजस्व ग्राम घोषित होते ही ये वनग्राम हर उस सुविधा के हकदार हो गए जो सामान्य नागरिक को मिलती है। अपने कार्यकाल में उन्होंने वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाओं से आच्छादित कर दिया है।

जंगल में बने रहने को गई दो वनटांगियों की जान: साखू के पेड़ों से जंगल संतृप्त हो गया तो वन विभाग ने अस्सी के दशक में वनटांगियों को जंगल से बेदखल करने की कार्रवाई शुरू कर दी। इसी सिलसिले में वन विभाग की टीम 6 जुलाई 1985 को जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन में पहुंची। न कहीं और घर, न जमीन, आखिर वनटांगिया लोग जाते कहां। उन्होंने जंगल से निकलने को मना कर दिया जिस वन विभाग की तरफ से फायरिंग कर दी गई। इस घटना में परदेशी और पांचू नाम के वनटांगियों को जान गंवानी पड़ी जबकि 28 लोग घायल ही गए। इसके बाद भी वन विभाग सख्ती करता रहा। यह सख्ती तब शिथिल हुई जब सांसद बनने के बाद 1998 से योगी आदित्यनाथ ने वनटांगियों की सुध ली।

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