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इलाहाबाद न्यूज़: मदन मोहन मालवीय स्टेडियम, आजाद पार्क और इविवि में 18.59 करोड़ रुपये से तैयार किए जा रहे सिंथेटिक ट्रैक, एस्ट्रो टर्फ, वॉलीबाल, बास्केटबाल और टेनिस कोर्ट का निर्माण समय से पूरा नहीं होने के पीछे एक अहम वजह तकनीकी खामियां रही हैं. प्रयागराज स्मार्ट सिटी लिमिटेड और कार्यदायी एजेंसी इंसोलॉक्स ने इन्हें बनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह नहीं ली.
निर्माण एजेंसी ने 2021 के मध्य से सिंथेटिक ट्रैक, एस्ट्रो टर्फ, वॉलीबाल, बास्केटबाल, टेनिस कोर्ट का निर्माण शुरू किया. निर्माणों में खामियों पर सबसे पहले तत्कालीन क्रीड़ा अधिकारी अनिल तिवारी की नजर पड़ी. क्रीड़ा अधिकारी ने खामियों की शिकायत तत्कालीन मंडलायुक्त आशीष कुमार गोयल से की. क्रीड़ा अधिकारी ने मंडलायुक्त को बताया था कि अगर ऐसे सिंथेटिक ट्रैक और एस्ट्रो टर्फ पर खिलाड़ी गिरकर घायल हुए तो उनका करियर बर्बाद हो सकता है. क्रीड़ा अधिकारी की शिकायत पर एजेंसी को योजना बदलनी पड़ी. ट्रैक और टर्फ का नए सिरे से निर्माण शुरू हुआ. नए सिरे से काम शुरू करने में छह माह लग गए.
ठोस मिट्टी पर बना रहे थे एस्ट्रो टर्फ
इविवि में ठोस जमीन पर हॉकी के लिए एस्ट्रो टर्फ का निर्माण शुरू हो गया. क्रीड़ा अधिकारी अनिल तिवारी एकदिन अचानक टर्फ का काम देखने पहुंचे. एजेंसी ठोस मिट्टी पर टर्फ बिछाने की तैयारी में थी. क्रीड़ा अधिकारी ने काम रुकवाया और टर्फ के नीचे नरम मिट्टी डालने का सुझाव दिया. इसकी शिकायत मंडलायुक्त से की. मंडलायुक्त के निर्देश पर एस्ट्रो टर्फ की योजना नए सिरे से बनाई गई.
टेनिस कोर्ट के मानकों की हुई जांच
आजाद पार्क में टेनिस कोर्ट के निर्माण पर भी सवाल उठा था. टेनिस खिलाड़ियों ने कोर्ट मानक के अनुरूप नहीं होने की शिकायत की. इसके बाद कोर्ट के निर्माण में बदलाव हुआ. अबतक तैयार हो चुके टेनिस कोर्ट खेल विभाग को सौंपने की योजना है. खेल विभाग ने जिला क्रीड़ा अधिकारी अरविंद सोनकर से कोर्ट की जांच कराई. क्रीड़ा अधिकारी ने कोर्ट में सुधार करने का सुझाव दिया है. इसी तरह की खामियां सभी जगह मिलीं, जिन्हें बाद में ठीक किया गया.
सिंथेटिक ट्रैक के निर्माण में भी हो रही थी लापरवाही
मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में आठ लेन के 400 मीटर लंबे सिंथेटिक ट्रैक के निर्माण में भी एस्ट्रो टर्फ की तरह बड़ी लापरवाही हो रही थी. सिंथेटिक ट्रैक के नीचे भी ठोस मिट्टी डालने की योजना थी. क्रीड़ा अधिकारी ने यह देखा तो काम रुकवा दिया. एजेंसी को तकनीकी खामियों की जानकारी देने के साथ ट्रैक के नीचे मिट्टी बदलने की सलाह दी. इसके बाद ट्रैक का नए सिरे से निर्माण शुरू किया गया.