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पंचायतों में भी स्वच्छता का मुकाबला, पंचायतों के लिए मानक
लखनऊ न्यूज़ :उत्तर प्रदेश में अब शहरी निकायों नगर निगम, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों की ही तरह ग्रामीण इलाकों में ग्राम पंचायतों के बीच साफ-सफाई को लेकर मुकाबला होगा. केन्द्र सरकार की पहल पर प्रदेश में पहली दफा स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण की शुरुआत की गई है. प्रदेश के पंचायतीराज निदेशालय द्वारा इसकी कार्ययोजना तैयार की गई है.
निदेशालय के कंसलटेंट संजय चौहान ने बताया कि बीती 19 नवम्बर से शुरू इस अभियान के तहत गांवों में शौचालायों का प्रयोग, कचरा और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के अलावा नालियों व गांव की गलियों, रास्तों की सफाई, जल जमाव निस्तारण आदि मानकों पर उत्कृष्ट कार्य करने वाली पंचायतों का चयन किया जाएगा. इस अभियान के तहत पंचायतों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. पहली श्रेणी में दो हजार तक की आबादी वाली पंचायतें, दूसरी श्रेणी में दो हजार से पांच हजार की आबादी वाली पंचायतें और तीसरी श्रेणी में पांच हजार से अधिक आबादी वाली पंचायतों को शामिल किया गया है. विकास खण्ड की 10 प्रतिशत या फिर जनसंख्या की तीनों श्रेणियों में से पांच-पांच श्रेष्ठ पंचायतों का चयन किया जाएगा.
जिला और राज्य स्तर पर जनसंख्या की तीनों श्रेणियों में से पांच-पांच यानि 15 पंचायतें चुनी जाएंगी. राज्य अपने स्तर से प्रत्येक एक हजार पंचायतों से एक पंचायत अथवा पांच पंचायत जो भी अधिक हो जनसंख्या की तीनों श्रेणियों में से चुनकर राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामित करेंगे.
● जैविक कचरे का सुरक्षित प्रबंधन करने वाले परिवारों का प्रतिशत
● सुरक्षित ग्रे वाटर प्रबंधन करने वाले परिवारों का प्रतिशत
● मल मूत्र से जुड़े सुरक्षित कचरे का प्रबंधन करने वाले परिवारों का प्रतिशत
● सूखे कचरे का सुरक्षित प्रबंधन करने वाले परिवारों का प्रतिशत
● सार्वजनिक स्थलों पर न्यूनतम गंदगी व न्यूनतम जल जमाव
● नालियों के डिस्चार्ज प्वाइंट पर शोधन प्रणाली
● डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के संसाधन की उपलब्धता
● प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन