उत्तर प्रदेश

अपने दावे और दम पर चुनावी दंगल में उतरे दलजीत के बाद विकास कराने का दावा

Admin Delhi 1
6 May 2023 8:40 AM GMT
अपने दावे और दम पर चुनावी दंगल में उतरे दलजीत के बाद विकास कराने का दावा
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गाजियाबाद न्यूज़: गाजियाबाद नगर निगम बनने के बाद साल 1995 में पहला चुनाव हुआ तो भाजपा के प्रत्याशी दिनेश चंद गर्ग ने बसपा उम्मीदवार जलालुद्दीन उर्फ जल्लू को करीब 63 हजार मतों से हरा दिया. सुरेंद्र गोयल (जो आगे चलकर गाजियाबाद के विधायक और सांसद बने) तब तीसरे नंबर पर रहे थे. दूसरे चुनाव (साल 2000) में भी दिनेश गर्ग महापौर बने, लेकिन इस बार उनके और कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र गोयल के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था. डीसी गर्ग महज छह हजार वोट से ही जीत पाए थे. इस बार 60 पार्षदों के सदन में भाजपा के केवल 16 पार्षद ही थे.

साल 2006 में महिला सीट होने पर भाजपा ने संघ परिवार की पुरानी कार्यकर्ता दमयंती गोयल को मैदान में उतारा. दमयंती ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रवेश शर्मा को आसानी से हरा दिया. अमरोहा के सांसद हरीश नागपाल की पत्नी सुनीता सपा से चुनाव लड़ी थीं. वह तीसरे नंबर पर रहीं. महापौर का चौथा चुनाव साल 2012 में हुआ तो सीट ओबीसी कोटे में चली गई. भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी रहे वरिष्ठ पत्रकार तेलूराम कांबोज को टिकट दे दिया. सपा ने बड़े कारोबारी सुधन रावत को मैदान में उतारा. मुकाबला कड़ा हुआ. परिणाम की घोषणा के वक्त भी खूब हंगामा हुआ. आखिर में तेलूराम कंबोज को विजयी घोषित किया गया. तेलूराम कांबोज का महापौर कार्यकाल के दौरान ही निधन हो गया.

उपचुनाव में भी भाजपा का पलड़ा भारी रहा सीट खाली होने पर साल 2016 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने अपने पुराने कार्यकर्ता अशु वर्मा पर दांव लगाया. सामने फिर से सपा के सुधन रावत थे. उपचुनाव में महज 18 फीसदी मतदान हुआ लेकिन कुल मतदान के 52 प्रतिशत मत अशु के पक्ष में पड़े.

निवर्तमान महापौर की जगह दूसरे को टिकट दिया साल 2017 में फिर से महिला सीट हुई तो भाजपा ने आशा शर्मा को टिकट दिया. सामने कांग्रेस का युवा चेहरा डॉली शर्मा थीं. अच्छा चुनावी माहौल बना मगर बड़े अंतर से जीत फिर से भाजपा के खाते में आई. सातवें महापौर चुनाव में भी सीट महिला के लिए आरक्षित है, लेकिन भाजपा ने निवर्तमान महापौर आशा शर्मा पर फिर से भरोसा नहीं जताया है. जिले की शुरुआती महिला कार्यकर्ताओं में शामिल रहीं सुनीता दयाल मैदान में हैं.

28 साल हो गए नगर निगम बने. तब से भाजपा शहर की सरकार चला रही है. सीवर लाइन तक ढंग से नहीं बिछवा पाए हैं. आधा शहर पेयजल संकट झेलता है. हम इन्हीं मुद्दों को आधार बनाकर चुनाव मैदान में हैं. चुनाव प्रबंधन के जानकार सीनियर लीडर चुनाव में गाइड कर रहे हैं. मैं खुद रोज की अपडेट लेता हूं, फिर उस हिसाब से रणनीति बनाते हैं. -नसीमुद्दीन सिद्दकी, मंडल प्रभारी, कांग्रेस

हमने कस्बानुमा शहर को महानगर बनाया है. आज गाजियाबाद की पहचान गेटवे ऑफ यूपी की है. भाजपा की ट्रिपल इंजन की सरकार रही तभी तो गाजियाबाद को चौड़ी सड़कें, एक्सप्रेस-वे और मेट्रो जैसी सौगातें मिलीं. हां कुछ काम जरूर रह गए हैं, उन्हें हमारी महापौर प्रत्याशी इस बार सरकार के साथ मिलकर पूरा करेंगी. हम गाजियाबाद को स्मार्ट सिटी बनाएंगे. -अशु वर्मा, प्रमुख, भाजपा चुनाव संचालन समिति

जनता इस बार बदलाव के मूड में है. हम जहां भी जा रहे हैं, वहां व्यवस्था से त्रस्त लोग मिल रहे हैं. हाउस टैक्स ने लोगों की कमर तोड़ दी है. दुकानों का मनमाना किराया बढ़ाया जा रहा है. सपा और रालोद का संगठन हर वार्ड में जमीनी स्तर पर काम कर रहा है. हम वोटरों को उस दिन पोलिंग बूथ तक लाने की योजना पर काम कर रहे हैं. सपा सुप्रीमो खुद गाइड कर रहे हैं. -वीरेंद्र यादव, महानगर अध्यक्ष, सपा

बसपा का काडर वोटर हर वार्ड में बड़ी संख्या में है. डी-एम फैक्टर हमारी जीत का आधार बनेगा. भाजपा की नाकामियों और बहन जी के विकास कार्यों को लेकर हम लोगों के बीच जा रहे हैं. पांच पूर्व मंत्री चुनाव का नेतृत्व कर रहे हैं. इस बार पहला गैर भाजपा मेयर बसपा से ही होगा. -नरेंद्र मोहित एडवोकेट, जिला महासचिव, बसपा

दिल्ली पूरे देश के लिए मॉडल है. हमने दिखाया है कि नीयत अच्छी हो तो लोगों को मुफ्त सेवाएं देकर भी लाभ में बजट रखा जा सकता है. हाउस टैक्स हाफ, वॉटर टैक्स माफ के नारे के साथ हम मैदान में हैं. वार्डवार रणनीति बनाकर हम अपनी बात मतदाताओं तक पहुंचा रहे हैं. 11 मई को गाजियाबाद में इतिहास बदलेगा. -नितिन त्यागी, चुनाव प्रभारी, आम आदमी पार्टी

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