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बरेली न्यूज़: बरेली नगर निगम चुनाव हमेशा सुर्खियों में रहा है. 1999 में प्रशासक एमएनए (मुख्य नगर अधिकारी) ने अधिकारी को एक रिवाल्वर दिखाई तो नगर प्रमुख ने दो रिवाल्वर दिखाकर उनका रौब कम कर दिया. यह होते एमएनए लाइन पर आ गए थे ङ्घफिर यह टकराव खत्म हुआ और शहर के विकास पर चर्चा हुई.
बरेली म्यूनिसिपलिटी का गठन 1868 में हुआ था. इसके बाद नगर पालिका 1916 में बनी और नगर महापालिका फिर नगर निगम बना. 1989 से 2000 तक नगर प्रमुख का पद होता था. 2000 से मेयर का पद हुआ. 1989 से अब तक कई मामले ऐसे हैं जो हमेशा अपनी पहचान छोड़ गए हैं. पूर्व नगर प्रमुख कुंवर सुभाष पटेल ने बताया कि 22 जनवरी 1999 से 22 अक्टूबर 1999 तक मुख्य नगर अधिकारी डॉ. दिलबाग सिंह रहे. वो खुद को सख्त अधिकारी के रूप में दिखाना चाहते थे. अफसर, कर्मचारियों पर रौब गांठते थे. एक दिन उन्होंने एक अफसरों को रिवाल्वर दिखा दी. सुभाष पटेल ने कहा कि उन्होंने केवल रिवाल्वर ही नहीं दिखाई बल्कि कहा था कि में हरियाणा का हूं, और सीएम देवीलाल मेरे रिश्तेदार हैं. किसी ने कोई आवाज निकाली तो उन्हें ठीक कर दूंगा. यही बात हमको नागवार गुजरी. बस क्या था, अगले दिन हमें एक नहीं दो रिवाल्वर लेकर नगर निगम गए. जिस अधिकारी को एमएनए ने रिवाल्वर दिखाकर रौब दिखाया था उसी अधिकारी को बुलाकर हमने कह दिया था कि हम किसी से कमजोर नहीं है. अफसर, कर्मचारी और जनता का उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा. अफसरों की दबंगई नहीं चलने दी जाएगी. सुभाष पटेल ने कहा कि हमने यह भी मैसेज दिया था कि ये हरियाणा नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश का बरेली शहर है. हमारा इतना ही कहना था फिर, एमएनए ने हमसे आकर माफी मांगी और फिर वो जब तक रहे और बाद तक हमारे रिश्ते उनसे बेहतर हो गए.
नगर निगम के ये मामले भी रहे सुर्खियों में
2013 में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को कर काफी विवाद हो गया था. मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तक गया और अवमानना पर मेयर, नगरायुक्त को एक-एक दिन की सजा के आदेश हुए. हालांकि बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया था. 2015 के करीब नगर निगम की सदन में बोर्ड बैठक के दौरान फाल्तूनगंज वार्ड के पार्षद रहे शेखर पाल को सदन से बाहर खदेड़ना पड़ा था. दरअसल शेखर पाल शराब पीकर वहां पहुंचे थे. यहां उन्होंने तत्कालीन नगर आयुक्त शीलधर से पूछा कि एक वार्ड में कितने वार्ड होते हैं. जिनके ड्रामे से परेशान होकर तत्कालीन मेयर डॉ. आईएस तोमर ने पुलिस बुलवाई और उसे सदन से बाहर करवा दिया था. 2021 में बोर्ड की बैठक में पार्षद विपुल लाला तहमत और बनियान पहनकर बैठक में पहुंचे थे.