- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- कूड़े के ढ़ेर में...

x
मुजफ्फरनगर। वैसे तो जनपद भर में होटलों, ढ़ाबों एवं कल कारखानों में बच्चों को काम पर रखना गैर कानूनी माना जाता हैं, मगर देश की ड़ूबती अर्थव्यवस्था के कारण जिन कंधों पर स्कूल का बैग होना चाहिए था उन कंधो पर पापी पेट व घर की जिम्मेदारियों का बोझ आ जाने से देश का भविष्य कहे जाने वाले मासूम कूड़े के ढ़ेर को बीनकर अपना भविष्य तलाश कर रहे हैं।
मासूम को खेलने खाने की उम्र में ही घर के हालातों ने कमाने पर मजबूर कर दिया है। अब इसकों बेरोजगारी कहे या मासूम की किस्मत? अपने पिता के साये में रहकर अपने भविष्य को उज्जवल बनाने व अपने पिता के फटे हाल को सुधारने के संजोए गये सपनों को मजबूरी व गरीबी के कफन में दफन कर अपने भविष्य को कूड़े के ढ़ेर को बीनकर तलाशने की नाकाम कोशिश की जा रही हैं। स्कूल के करीब से गुजरने पर ढ़ेर सारे सवाल मन में उत्पन्न होते हैं, मगर कोई जवाब नहीं मिल पाता।कहते हैं कि पापी पेट के लिए कुछ भी करना पड़ जाता हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण जनपद मुजफ्फरनगर के रूड़की रोड स्थित लगे कूड़े के ढ़ेर को बीनकर अपने भविष्य को तलाशता देखा गया हैं।

Admin4
Next Story