उत्तर प्रदेश

फोन-पे के नाम पर हो रही ठगी

Admin Delhi 1
30 July 2023 8:14 AM GMT
फोन-पे के नाम पर हो रही ठगी
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मेरठ: आजकल कैश की जगह आॅनलाइन ट्रांजिक्शन का चलन बढ़ गया है। इसके जरिये लाखों लोग रोजाना करोड़ो रूपये का ट्रांजेक्शन करते है। किसी को भुगतान करना हो या कैसे भी बिल को भरना सभी के लिए ज्यादातर आॅनलाइन एप का इस्तेमाल किया जा रहा है। अकेले भारत में ही करीब 10 करोड़ उपभोक्ता ऐसे है जो आॅनलाइन पेमेंट एप का प्रयोग करते है। लेकिन आजकल आॅनलाइन पेमेंट एप के जरिये ठगी का धंधा भी खूब जोरों से चल रहा है।

कंपनियों के नाम पर कैशबैक देने के लुभावने आफर उपभोक्ताओं को भेजे जाते है जिसके बाद लिंक के जरिये ठगी की जा रही है। ऐसा ही एक वीडिये वायरल हुआ है जिसमें आॅनलाइन पेमेंट की अग्रणी कंपनी फोन-पे का नाम लेकर उपभोक्ता से वसूली करने की कोशिश की गई। लेकिन उपभोक्ता की सजगता के चलते ठग अपने मंसूबें में कामयाब नहीं हो सका।

वायरल वीडियो में एक उपभोक्ता के मोबाइलन पर अनजान नंबर+115729531004811 से कॉल आई। कॉल करने वाले ने अपना नाम बादल श्रीवास्तव बताया और कहा कि वह फोन-पे के मुंबई हैडक्वाटर से बात कर रहा है। कंपनी ने उपभोक्ता को कैशबैक आॅफर देने के लिए चुना है जिसमें लिंक खोलने के बाद यूपीआई नबंर डालते ही 8999 रू एकाउंट में पहुंच जाएंगे। ठग की बात सुनकर उपभोक्ता ने पूछा कि ऐसा कभी नहीं होता कि पेमेंट लेने के लिए यूपीआई नंबर मांगा जाए।

यह तो किसी को भुगतान करने के लिए मांगा जाता है। इसके बाद ठग और उपभोक्ता के बीच गरमागर्मी होती है और अंत में अपनी पोल खुलने के बाद बताये जा रहे कथित ठग बादल श्रीवास्तव ने फोन हैक करने की धमकी दी। जब उपभोक्ता ने कहा कि वह उसका वीडियो बना रहा है तो ठग ने वीडियो वायरल न करने की बात कहते हुए उपभोक्ता को बरबाद करने की चेतावनी दी। इसके बाद ठग ने फोन काट दिया।

ठगी से बचने के लिए यह बरते सावधानी

आॅनलाइन पेमेंट एप का प्रयोग करना अच्छी बात है, जहां इसके कई फायदे है तो नुकसान भी है। लेकिन कुछ सावधानियां बरतने से आप इस तरह हो रही आॅनलाइन ठगी का शिकार होने से बच सकते है। सबसे पहले ऐसी कोई भी कॉल रिसीव न करें जिसमें + लगा हो और उसके बाद कोड नंबर नजर आ रहा है। साथ ही कम से कम 12 डिजिट का फोन नंबर होता है जिससे यह साफ हो जाता है कि यह फ्रॉड कॉल है।

ऐसे नंबरों से ठगी करने वाले आपको बताएंगे कि कंपनी की ओर से आपको कैशबैक, लोन आॅफर या बिल आदि में छूट मिलने वाली है। साथ ही यह एक लिंक भेजते है जिसपर क्लिक करते ही अमाउंट मांगा जाता है। इसके बाद आपसे यूपीआई नंबर डालने को कहा जाता है जिसके बाद यदि आपने यूपीआई नंबर डाल दिया तो आपके बैंक अकाउंट से पैसे ठग के खाते में ट्रांसफर हो जाएंगे।

इन नंबरों की नहीं हो सकती पुलिस में शिकायत

आॅनलाइन ठगी करने वालों के एक नहीं कई गिरोह सक्रिय है जो विदेशी नंबरों का प्रयोग कर इस गोरख धंधे को अंजाम दे रहें है। ऐसे नंबर किसी भी फर्जी आईडी पर जारी किये जाते है जिनका सारा रिकार्ड फर्जी होता है। यदि आप ठगी के बाद इन नंबरों की शिकायत पुलिस में दर्ज कराते है तो यह महज एक खानापूर्ती तक ही सीमित रहती है।

पुलिस कभी इन नंबरों की पहचान नहीं कर सकती क्योंकि इनका पता किसी दूसरे देश में होता है। सर्विलांस के जरिये पुलिस केवल यह पता कर सकती है कि यह नंबर कबसे चल रहा है, इसकी आखिरी लोकेशन कहां की रही और यह कब बंद हुआ।

कॉल करने वाले करते है वॉयस चेंजर का प्रयोग

कई बार ऐसा होता है कोई अनजान कॉल आती है तो उसमें बात करने वाले की आवाज पहचानी जा सकती है। इसके बाद संदेह के घेरे में आने वाले लोगों के नंबरों को सर्विलांस पर लगाया जाता है जिसके बाद आवाज की पहचान होने व कॉल के समय का मिलान होने के बाद ठग के पकड़े जाने की संभावना बढ़ जाती है।

इससे बचने के लिए ठग वॉयस चेंजर का प्रयोग करते है और उनकी आवाज आसानी से पहचान में नहीं आती। आॅनलाइन ठगी से बचने के लिए सावधानी जरूरी है नहीं तो कोई भी आसानी से आपको लालच देकर आपकी मेहनत की कमाई पर डाका डाल सकता है

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