उत्तर प्रदेश

सिर्फ डिलीवरी प्वाइंट बन गए सीएचसी

Admin Delhi 1
11 Jun 2023 7:11 AM GMT
सिर्फ डिलीवरी प्वाइंट बन गए सीएचसी
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लखनऊ न्यूज़: प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) महज डिलीवरी प्वाइंट बनकर रह गए हैं. वहां सिर्फ गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के अलावा अन्य मरीज भर्ती नहीं हो रहे. मरीज भर्ती हों भी तो कैसे, डॉक्टरों की उन्हें भर्ती करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. वहीं विभाग ने लंबे समय से अन्य मरीजों के भोजन का पैसा तक सीएचसी के लिए नहीं भेजा है.

यूपी में एक लाख 20 हजार की आबादी पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोले जाने का प्रावधान है. 30 बैड के यह अस्पताल स्वास्थ्य विभाग की बेहद महत्वपूर्ण इकाई है. एक सीएचसी पर करीब 28 लोगों का कुल स्टाफ स्वीकृत होता है. यूं तो सीएचसी पर तमाम रोगों के मरीजों के इलाज और उन्हें भर्ती करने की व्यवस्था है. मगर यहां सिर्फ गर्भवती महिलाओं को ही भर्ती किया जा रहा है.

जननी सुरक्षा में सबको मिलता है पैसा दरअसल, जच्चा-बच्चा की मृत्यु दर में कमी लाने के लिए केंद्र सरकार का जोर संस्थागत प्रसव पर है. इसके लिए जननी सुरक्षा योजना शुरू की गई थी. योजना में बच्चे को जन्म देने वाली महिला से लेकर उन्हें अस्पताल लाने वाली आशा को भी पैसे दिए जाने का प्रावधान है.

भर्ती होने के दौरान उनके भोजन का पैसा भी मिलता है. ऐसे में सीएचसी पर सबकी दिलचस्पी केवल प्रसव कराने में ही है. बाकी मरीजों के भोजन लिए विभाग ने सालों से पैसे नहीं भेजे. यह भेद तब खुला जब बीते दिनों चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा ने वाराणसी की एक सीएचसी का दौरा किया. वहां बाकी रोगों के मरीजों की भर्ती न के बराबर थी.

● 30 बेड के अस्पतालों में अधिकांश गर्भवती महिलाएं ही की जा रहीं भर्ती

● सालों से नहीं दिया गया अन्य मरीजों के भोजन का पैसा

● डॉक्टरों, स्टाफ की भी बाकी मरीजों की भर्ती में दिलचस्पी नहीं

स्वास्थ्य केंद्रों को खोले जाने के ये हैं नियम●

● पांच हजार की आबादी पर स्वास्थ्य उपकेंद्र खोले जाने का प्रावधान है.

● 30 हजार की आबादी पर खोले जाते हैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र.

● 1.20 लाख की आबादी पर खुलते हैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र.

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