उत्तर प्रदेश

बिजली निगम के 29 इंजीनियर व कर्मचारियों के खिलाफ आरोप पत्र जारी

Ritisha Jaiswal
12 May 2022 9:06 AM GMT
बिजली निगम के 29 इंजीनियर व कर्मचारियों के खिलाफ आरोप पत्र जारी
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होटल रेडिशन ब्लू और शॉपिंग कांप्लेक्स को स्थायी कनेक्शन देने में देरी और मनमाने ढंग से जुर्माना लगाने के मामले में बिजली निगम के 29 इंजीनियर व कर्मचारियों के खिलाफ बुधवार को आरोप पत्र जारी कर दिया गया

होटल रेडिशन ब्लू और शॉपिंग कांप्लेक्स को स्थायी कनेक्शन देने में देरी और मनमाने ढंग से जुर्माना लगाने के मामले में बिजली निगम के 29 इंजीनियर व कर्मचारियों के खिलाफ बुधवार को आरोप पत्र जारी कर दिया गया।इसका जवाब 10 दिन में देना है। आरोप पत्रों का जवाब मिलने के बाद आगे की विभागीय कार्रवाई की जाएगी। बिजली निगम के इस फैसले से हड़कंप का माहौल है।

जानकारी के मुताबिक, मेसर्स कांटिनेंटल डेवलपर्स ने मोहद्दीपुर चौराहे पर ही होटल व शॉपिंग कांप्लेक्स बनाया है। इसके लिए अस्थायी बिजली कनेक्शन लिया गया था। बाद में अस्थायी कनेक्शन की मांग की गई, लेकिन निगम के इंजीनियर व कर्मचारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई। इसी बीच डेवलपर्स प्रबंधन पर 40 लाख रुपये का जुुर्माना ठोंक दिया गया। इसपर प्रबंधन की तरफ से आपत्ति की गई। साक्ष्यों के साथ मामले में जांच की मांग भी हुई। इसी का नतीजा रहा कि बिजली निगम ने जांच समिति गठित कर दी।
समिति के अध्यक्ष व मुख्य अभियंता एके श्रीवास्तव ने की अगुवाई में जांच हुई और अब रिपोर्ट जोन के मुख्य अभियंता को सौंप दी गई। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, उपभोक्ता के अस्थायी कनेक्शन को स्थायी करने में नगरीय वितरण खंड तृतीय व ट्रांसमिशन खंड के इंजीनियरों ने हीलाहवाली की है। इससे निगम की छवि को धूमिल हुई है। इंजीनियरों का यह कृत्य कदाचार की श्रेणी में आता है। स्थायी कनेक्शन देने में तत्परता नहीं बरती गई है। 33 किलोवाट का कनेक्शन का इस्टीमेट बनाने में दो साल का समय लग गया।
विधान परिषद की समिति ने किया हस्तक्षेप
उपभोक्ता ने बिजली निगम के अफसरों की करतूत की जानकारी विधान परिषद की स्थायी समिति को दी थी। समिति की सुनवाई के दौरान ही निगम के निदेशक वितरण व मुख्य अभियंता को जांच करने का आदेश दिया गया। यह भी कहा कि एक-एक इंजीनियर व कर्मचारी की जिम्मेदारी तय की जाए।
ये था मामला
मेसर्स कांटिनेंटल डेवलपर्स ने होटल व शापिंग कॉप्लेक्स निर्माण के लिए मार्च-2014 में पांच किलोवाट का एलएमवी-9 श्रेणी का अस्थायी कनेक्शन लिया था। सितंबर 2015 में फर्म ने 1743 किलोवाट का स्थायी कनेक्शन मांगा, लेकिन बिजली निगम के इंजीनियरों ने कोई फैसला नहीं लिया। यही नहीं, अप्रैल 2016 में पांच किलोवाट के अस्थायी कनेक्शन का लोड बढ़ाकर 18 किलोवाट कर दिया गया।
फर्म के मैनेजर निलेश कुमार गर्ग के मुताबिक, शापिंग कॉप्लेक्स को चालू करना था। इसके बावजूद स्थायी कनेक्शन नहीं दिया गया। जनवरी 2017 में 540 किलोवाट का अस्थायी कनेक्शन जारी किया और स्थायी बिजली कनेक्शन की फाइल वितरण से ट्रांसमिशन के बीच फंसी रही। जनवरी 2019 में निगम की तरफ से 57 लाख का इस्टीमेट दिया गया। जैसे ही इस्टीमेट मिला, भुगतान भी कर दिया गया।
इसके बावजूद लापरवाही का सिलसिला जारी रहा। अस्थायी कनेक्शन पर ही 65 लाख रुपये का गलत बिल भेज दिया गया। फर्म ने आपत्ति की तो बिल 24 लाख कर दिया गया। अक्तूबर 2019 में 1743 किलोवाट का स्थायी कनेक्शन दिया गया, लेकिन इसी वक्त 40 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोंक दिया गया।
इन्हें मिला आरोप पत्र
वितरण खंड तृतीय के निवर्तमान एक्सईएन संजय यादव, वीके चौधरी, आरपी गुप्ता, एसडीओ मुकेश गुप्ता, सहायक अभियंता राजस्व रंजना कन्नौजिया, निवर्तमान एसडीओ हेमंत सिंह, नीति मिश्रा, नीरज दूबे, ट्रांसमिशन खंड के अभियंता अमीन अजीज, उमाशंकर, मदन कुमार, राम सुरेश, फैयाज शब्बर, अजीत त्रिपाठी, राकेश कुमार, राजेन्द्र कुमार, जेई ईएन सिंह,राजेश कुमार, संजीव कुमार, वितरण खंड तृतीय के लेखाकार शशि प्रताप सिंह, सहायक लेखाकार वैजनाथ कुमार गुप्ता, कार्यकारी सहायक सुयोग्य त्रिपाठी, अनुबंध लिपिक यूपी सिंह, लिपिक पीके त्रिपाठी, आरके सिंह और आशीष पासवान, कार्यालय सहायक रामकिशुन प्रसाद और नवीन कुमार गुप्ता सहित अन्य।
एसई नगरीय वितरण मंडल यूसी वर्मा ने कहा कि कुछ आरोप पत्र डाक से भेजे गए हैं। कुछ रिसीव कराए जा चुके हैं। इन आरोपों पर 10 दिनों में जवाब देना है। जवाब मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी
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