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सहारनपुर: भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद पर गुरुवार को जानलेवा हमला किया गया जहां सहारनपुर के देवबंद पहुंचे आजाद के काफिले पर फायरिंग की गई जिसके बाद इस जानलेवा हमले में चंद्रशेखर घायल हो गए थे, हालांकि गोली उन्हें छूकर निकल गई. वहीं इसके बाद उन्हें इलाज के लिए देवबंद के अस्पताल में भर्ती करवाया गया. इधर घटना के बाद पुलिस ने हमलावरों की कार बरामद करते हुए चार संदिग्धों को भी हिरासत में लिया है जिनसे अब पूछताछ की जा रही है. इस मामले में सहारनपुर के देवबंद थाने में भीम आर्मी के पदाधिकारी मनीष कुमार ने शिकायत देते हुए मामला दर्ज करवाया है जिसमें हत्या के प्रयास के साथ-साथ एससी-एसटी एक्ट की धारा भी लगाई गई है.
वहीं हमले के बाद आजाद ने कहा कि हादसे के वक्त उनकी गाड़ी अकेली थी और हमले के दौरान मैं काफी डर गया था. उन्होंने कहा कि मुझे याद नहीं है लेकिन मेरे लोगों ने हमलावरों की पहचान कर ली है और हमला करने के बाद उनकी गाड़ी सहारनपुर की तरफ चली गई थी.
चंद्रशेखर आजाद आज देश की राजनीति में जाना-माना चेहरा हैं जिनका जन्म यूपी के सहारनपुर में 6 नवंबर 1986 को हुआ. आजाद पेशे से वकील हैं जिन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई की है. वहीं वर्तमान में वह आजाद समाज पार्टी चलाते हैं और इससे पहले उन्होंने भीम आर्मी बनाई थी.
पढ़ने के लिए जाना चाहते थे अमेरिका
चंद्रशेखर रामायण के किरदार रावण से काफी प्रभावित है इसलिए उन्होंने अपने नाम के आगे रावण शब्द जोड़ा है. रावण के पिता गोवर्धन दास सरकारी स्कूल में शिक्षक थे और उनकी मां कमलेश देवी गृहिणी हैं. वहीं आजाद लॉ की पढ़ाई करने के बाद आगे पढ़ने के लिए अमेरिका जाना चाहते थे लेकिन सहारनपुर के एक अस्पताल में पिता के इलाज के दौरान दलितों पर हुए अत्याचार को देखकर उनका जीवन बदल गया और वह दलितों के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने लग गए.
वहीं आजाद कुछ साल पहले अपने गांव के बाहर एक ‘दा घडकौली वेलकम यू द ग्रेट चमार्स’लिखा एक बोर्ड लगाकर पहली बार सुर्खियों में आए थे जिसके बाद उस पर काफी विवाद भी हुआ था. इस विवाद के बाद वह तेजी से एक युवा दलित नेता के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो गए. इस दौरान ही आजाद को अमेरिका की टाइम मैगजीन ने टॉप 100 इमरजिंग नेताओं की लिस्ट में भी शामिल किया.
भेदभाव के खिलाफ बनाई भीम आर्मी
आजाद ने भीम आर्मी की स्थापना दलित एक्टिविस्ट सतीश कुमार, विनय रतन आर्य के साथ मिलकर साल 2014 में की थी जहां वह दलितों के उत्पीड़न और सामाजिक भेदभाव के विरोध में आवाज उठाते थे. इस संगठन के तले आजाद ने कई आंदोलन किए और दलित अत्याचारों के खिलाफ देश के हर कोने में गए. हालांकि भीम आर्मी का मुख्य कार्यक्षेत्र उनका जिला सहारनपुर ही रहा और अब उन्होंने इसका नाम आजाद समाज पार्टी करते हुए एक राजनीतिक पार्टी का रूप दे दिया है.