उत्तर प्रदेश

बिना जांच पड़ताल धड़ल्ले से जारी हो रहे प्रमाण पत्र

Admin Delhi 1
15 Jan 2023 9:24 AM GMT
बिना जांच पड़ताल धड़ल्ले से जारी हो रहे प्रमाण पत्र
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सरूरपुर: राजस्व विभाग के लेखपाल आंखें मूंदकर लोगों के प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं। राजस्व विभाग के अधिकारी बिना आधी अधूरी जानकारी और जांच के बिना ही प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। जिसे लेकर ऐसे अधिकारियों की कार्यवाही पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। आंखें मूंदकर जारी किए जा रहे प्रमाण पत्रों में तमाम तरह की खामियां मिल रही है,तो वहीं दूसरी और बिना तस्दीक करे ही काफी लोगों के प्रमाण पत्र कैंसिल भी किए जा रहे हैं। जिससे लोग परेशान इधर-उधर भटकते फिर रहे हैं।

लेखपालों की हरकतों से आजिज आ चुके हैं। गांव और कस्बों पर तैनात राजस्व विभाग के नुमाइंदे लेखपाल और कानूनगो आंखें मूंदकर धड़ल्ले से लोगों के प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं।राजस्व विभाग के अधिकारी बिना तस्दीक और जांच के ही प्रमाण पत्रों को जारी कर लोगों को परेशानी खड़ी कर रहे हैं, तो खुद भी मुसीबत में पड़ रहे हैं। ई-डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत जारी किए जाने वाले आय,जाति व मूल निवास प्रमाण पत्र को राजस्व विभाग के लेखपाल का कानून को बिना जांच पड़ताल और तस्दीक करे ही जारी कर रहे हैं, ऐसे ही कई मामले लेखपालों की हीला हवाली और लापरवाही के चलते पकड़ में आए हैं। कई मामलों में लेखपालों द्वारा बिना जांच पड़ताल करे ही प्रमाण पत्रों को कैंसिल भी कर दिया गया।

जबकि वह वास्तव में पात्र थे और आवेदन भी सही था। इससे जहां लोगों की डबल फीस लग रही है,वही समय पर काम नहीं होने के कारण लोगों को भारी मुसीबतों का भी सामना करना पड़ रहा है, लेकिन आंखें मूंदकर जारी कर रहे लेखपाल व कानूनगो तमाम नियम कायदे और समय सीमा ताक पर रखकर प्रमाणपत्रों को जारी कर रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में कस्बा हर्रा निवासी विधवा पूजा पत्नी अजय ने राशन कार्ड बनवाने के लिए गत 15 दिसंबर को जन सेवा केंद्र से आय प्रमाण पत्र के लिए आॅनलाइन आवेदन किया था। जिसकी आवेदन संख्या 221380010178848 लेकिन संबंधित लेखपाल द्वारा 1 सप्ताह बाद बिना तस्दीक करें ही व्यवसाय गलत बताकर उसे कैंसिल कर दिया।

जबकि आवेदन करता पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने के साथ पति की मौत के बाद मजदूरी करके परिवार का जीवन यापन कर रही है। इसी तरह खेड़ीकलां गांव निवासी अकीला पत्नी स्व. मोबीन ने भी गत 15 दिसंबर को जन सेवा केंद्र से आय प्रमाण पत्र के लिए आॅनलाइन आवेदन किया था, लेकिन उसका प्रमाण पत्र भी संबंधित लेखपाल ने आवेदन संख्या 2213810178866 यह दर्शा कर रिजेक्ट कर दिया कि वह पति के नाम से आवेदन करे। जबकि वास्तविकता में आवेदन करता विधवा महिला के पति की 15 वर्ष पूर्व मौत हो चुकी है।

इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिना तस्दीक करे ही किसी विधवा को उसके पति के नाम से आवेदन करने के लिए कहा जा रहा हो। इसी तरह से कस्बा हर्रा निवासी नगमा पत्नी कामयाब का पति जीवित है, लेकिन लेखपाल ने आंखें मूंदकर आय प्रमाण पत्र जारी कर दिया,वह भी महज 24000 वार्षिक आय का। जबकि इसी तरह गांव मैनापूठी निवासी एक जमींदार का जिसका बेटा फौज में है,उसका आय प्रमाण पत्र महज 46000 वार्षिक आय का लेखपाल ने नजराना लेकर जारी कर दिया। इसी तरह कस्बा हर्रा निवासी शकील का भी संबंधित लेखपाल ने नजराना लेकर महज 36000 वार्षिक आय का प्रमाण पत्र जारी कर दिया।

जबकि नगर पंचायत क्षेत्र में 54000 वार्षिक आय की सीमा लागू होती है,लेकिन बावजूद इसके लेखपाल ने नजराने की आड़ में तमाम नियम-कायदे ताक पर रखते हुए महज 36000 वार्षिक आय का प्रमाण पत्र जारी कर के खेल कर दिया। इसी तरह पांचली बुजुर्ग के रिश्वतखोरी की वीडियो वायरल होने वाले लेखपाल में पांचली बुजुर्ग निवासी हकीकत पुत्र तरीकत को आय प्रमाण पत्र के नाम पर 4 महीने तक टरकाया,लेकिन जब नजराना पेश किया तो लेखपाल ने महज 46000 रुपये की आय का प्रमाण पत्र जारी कर दिया।

यह प्रक्रिया है प्रमाण पत्र बनवाने की: पात्र आवेदन कर्ता को ई-डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत गांव-कस्बों में खोले गए जन सेवा केंद्र पर प्रमाण पत्र बनवाने के लिए संबंधित कागजात की फोटोकॉपी देनी होती है,जिन्हें जन सेवा केंद्र संचालक एक निर्धारित फीस काटने के बाद आॅनलाइन कर देता है ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल से सीधे संबंधित हल्का लेखपाल के पोर्टल पर पहुंच जाते हैं। जहां से संबंधित हल्का लेखपाल जांच करने के बाद रिपोर्ट लगाकर फॉरवर्ड कर देता है। जिसके बाद संबंधित प्रमाण पत्र उसी जन सेवा केंद्र के पोर्टल पर बनकर आ जाता है।

समय सीमा में नहीं जारी होते प्रमाण पत्र: यूपी सरकार द्वारा ई-डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत जारी होने वाले आय प्रमाण पत्र के लिए जहां सात कार्य दिवस की सीमा तय की गई है। वहीं मूल निवास प्रमाण पत्र के लिए 21 दिन की कार्य सीमा तय की गई है। इसी तरह जाति प्रमाण पत्र के लिए भी एक सप्ताह के समय निर्धारित किया गया है। जिसके निर्धारित समय के अंदर संबंधित लेखपाल या अधिकारी को जांच करने के बाद प्रमाण पत्र जारी करना होता है। लेकिन अक्सर देखने में आ रहा है कि तमाम नियम कायदे और समय सीमा ताक पर रखकर आवेदन कब तक प्रमाण पत्र समय सीमा के अंदर जारी नहीं किए जा रहे हैं। जिससे संबंधित आवेदन कर्ता के तमाम कार्य रुक जाते हैं और अड़चनें पैदा होती हैं लेकिन बावजूद इसके सरकार द्वारा बनाए गए नियम कायदों को कर्मचारी-अधिकारियों ने खुद ही तोड़ दिया है।

प्रमाण पत्र की आड़ में की जा रही अवैध वसूली: ई-डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत गांव कस्बे में खोले गए जन सेवा केंद्र पर सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को सुविधा प्रदान करने के लिए आॅनलाइन प्रमाण पत्र जारी करने की सुविधा दी गई है। लेकिन आॅनलाइन प्रमाण पत्र जारी करने की आड़ में जन सेवा केंद्र संचालक अवैध वसूली कर रहे हैं। यूपी सरकार द्वारा निर्धारित आय,जाति व मूल निवास की 30 रुपये की फीस निर्धारित की गई है। लेकिन इसकी आड़ में जन सेवा केंद्र संचालक 100 से 200 रुपये तक वसूल करते हैं,जो सरकार के नियम कायदे के बिल्कुल विरुद्ध है । लेकिन जन सेवा केंद्र संचालक वसूली करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

हरकतों से परेशान है ग्रामीण: लेखपालों द्वारा आंखें मूंदकर जारी किए जा रहे प्रमाण पत्र से आम आदमी आजिज आ चुका है,कई लोगों को पात्र होते हुए अपात्र दर्शा कर कागज रिजेक्ट कर दिए जाते हैं,तो कई अपात्र लोगों को नजराने की आड़ में पात्र बताकर प्रमाण पत्र जारी हो रहे हैं। ऐसे कई इधर-उधर भटकते ग्रामीणों ने भी इस मामले में मुख्यमंत्री तक से शिकायत की है। शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री से ऐसे बेलगाम कर्मचारी अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग उठाई है।

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