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ब्लैकमेलर गैंग के सदस्यों के खिलाफ सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल किया
बरेली: रेप का फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर वसूली करने वाले गैंग के खिलाफ जांच कर रही सीबीआई ने बड़ा खुलासा किया है. अधिवक्ता की मदद से गैंगरेप की एफआईआर दर्ज कराने वाले गैंग के सदस्यों के खिलाफ सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. चार केस में तीन की तफ्तीश पूरी हो चुकी है. मऊआइमा के मुकदमे की जांच अभी लंबित है.
सिविल लाइंस निवासी अधिवक्ता भूपेंद्र पांडेय के खिलाफ कानपुर की युवती ने दारागंज थाने में 2021 में गैंगरेप की धारा में एफआईआर दर्ज कराई थी. भूपेंद्र की शिकायत पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर वसूली करने वाले गैंग के खिलाफ सीबीआई को जांच का आदेश दिया. मऊआइमा, शिवकुटी, फाफामऊ, दारागंज समेत अन्य थानों में दर्ज 51 फर्जी मुकदमों की बात सामने आई. इसमें सीबीआई ने दारागंज और मऊआइमा थाने में दर्ज चार मामलों में एफआईआर दर्ज की. इनमें अधिवक्ता भूपेंद्र के खिलाफ दर्ज गैंगरेप की मामला फर्जी पाया गया. दारागंज पुलिस की जांच में भी फर्जी केस की पुष्टि हुई थी. इस प्रकरण में सीबीआई ने युवती और उसके अधिवक्ता सुधाकर मिश्र और विनोद शंकर त्रिपाठी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. गैंगरेप का फर्जी केस दर्ज कराने वाली महिला की मौत होने के कारण उस केस में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई है.
फीस के बदले गैंगरेप की रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा: सीबीआई ने अपनी जांच में खुलासा किया है कि अधिवक्ता भूपेंद्र के खिलाफ गैंगरेप की रिपोर्ट दर्ज कराने वाली महिला कानपुर की रहने वाली है. उसका पति से विवाद चल रहा था. वह अधिवक्ता विनोद शंकर और सुधारक मिश्र से अपने पति के खिलाफ फैमिली कोर्ट में मुकदमा के लिए मिली थी, लेकिन उसके पास अधिवक्ता को देने के लिए पैसा नहीं था. महिला का बयान है कि अधिवक्ताओं ने उसे फीस के बदले मुकदमा दर्ज कराने के लिए कहा तो वह तैयार हो गई. लालच देकर गैंगरेप की रिपोर्ट दर्ज कराई. गैंगरेप केस होने के कारण महिला को 75 हजार रुपये मुआवजा भी मिला था