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उत्तर प्रदेश
अनोखी खबर: भैंस, घोड़ी के बाद बिल्लियां, एमएलसी के लिए बन गई थीं सिरदर्द, लेकिन ऐसे मिल गई सफलता
jantaserishta.com
9 Nov 2021 4:39 AM GMT
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गोरखपुर: आजम खां की भैंस और रामपुर के ही कांग्रेस किसान नेता हाजी नाज़िश खान की घोड़ी पकड़ने को लेकर सुर्खियों में रही यूपी पुलिस के लिए इस बार चुनौती पेश की है प्राणी उद्यान के रेंजर समेत छह कर्मचारियों ने। इस बार वास्ता मंत्री की भैंस नहीं बल्कि एक एमएलसी की बिल्लियों से पड़ा है। आखिरकार दो दिन की कड़ी मेहनत के बाद इन कर्मचारियों ने छह घरेलू बिल्लियों को पकड़ने में सफलता पाई है।
दो दिन तक हलकान रहे शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान के रेंजर समेत छह कर्मचारियों ने आखिरकार एमएलसी के घर से छह घरेलू बिल्लियों को रेस्क्यू करने में कामयाब हो गए। ये बिल्लियां एमएलसी के लिए सिरदर्द बन गई थीं। उन्हें घर से निकालने के लिए उन्होंने सारा जोर लगा दिया था लेकिन कामयाबी नहीं मिली। तब उन्होंने गोरखपुर प्राणी उद्यान से मदद मांगी।
असल में शाहपुर थाना क्षेत्र स्थित एमएलसी के आवास पर एक बिल्ली ने चार बच्चे दे दिए। उसके बाद उन बिल्लियों की आवाज और उनके द्वारा की जा रही गंदगी से पूरा घर परेशान था। तमाम जतन करने के बाद बिल्ली और उसके बच्चों से परिवार को छुटकारा नहीं मिला। उसके बाद प्राणी उद्यान के रेंजर सुनील राव से मदद मांगी गई। शनिवार से ही रेंजर सुनील राव की अगुवाई में माली गौरव, संदीप, विनय, जगदम्बा और चंद्रदेव बिल्लियों को पकड़ने की कोशिश में जुटे थे। रविवार की मशक्कत बेकार गई।
सोमवार को कर्मचारियों ने आखिरकार बिल्ली और उसके बच्चे को रेस्क्यू कर उन्हें उचित सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया। बिल्लियों को पकड़ने के लिए सोमवार को नेट का इस्तेमाल किया गया लेकिन नेट से बाहर निकल कर भाग रही बिल्ली को पकड़ने की कोशिश में एक कर्मचारी विनय बिल्ली के पंजे से चोटिल हो गया। डॉक्टरों ने उसे एंटी रैबिज इंजेक्शन लेने की सलाह दी है। प्रभारी डीएफओ विकास यादव का कहना है कि वन विभाग घरेलू जानवर नहीं रेस्क्यू करता। वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू किया जाता है। बिल्ली घरेलू जानवर की श्रेणी में है।
वन्यजीव को रेस्क्यू करने का काम वन विभाग का है, न कि प्राणी उद्यान का। दूसरे घरेलू बिल्ली वन्यजीव की श्रेणी में नहीं आती, इसलिए उसके रेस्क्यू का प्रश्न नहीं उठता। फिलहाल प्राणी उद्यान के रेंजर और कर्मचारी मेरे निर्देश पर रेस्क्यू करने नहीं गए थे।
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