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गाजियाबाद न्यूज़: नगर निगम बनने से पहले शहर में नगर पालिका के चुनाव होते थे.24 वार्डों के सभासद चुने जाते थे.प्रत्याशी उस वक्त साइकिल और रिक्शे पर बैठकर प्रचार करते थे.चुनाव लड़ने के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत नहीं होती थी.मौजूदा समय के चुनाव में प्रत्याशी महंगी गाड़ियों में प्रचार कर रहे हैं.चुनाव में पहले जैसी सादगी भी दिखाई नहीं देती.
नगर निगम का गठन वर्ष 1995 में हुआ.इससे पहले नगर पालिका के चुनाव होते थे.शहर के 24 वार्ड में से कुछ की आबादी ज्यादा तो कुछ की कम रहती थी.78 साल के रामकिशन गुप्ता और हरपाल शर्मा ने बताया कि नगर पालिका के चुनाव सादगी से होते थे.सभी प्रत्याशी आचार संहिता के नियमों का पालन करते थे.साइकिल या रिक्शा पर घूमकर चुनाव प्रचार करते थे.
अब महंगी गाड़ियों का काफिला चलता है साथ: उस दौरान जगह-जगह प्रत्याशियों का स्वागत होता था.शाम के वक्त दूध की दुकान पर बैठकर लोग अपने वार्ड के प्रत्याशी की चर्चा करते थे.प्रत्याशियों के बीच कोई टकराव नहीं होता था.प्रत्याशी और उनके समर्थक में खूब हंसी मजाक होता था.बहुत कम पैसों में चुनाव होते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है.चुनाव में खूब धन खर्च हो रहा है.प्रत्याशी महंगी गाड़ियों में घूमकर प्रचार कर रहे हैं.प्रचार के दौरान टकराव हो जाता है.