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दवा-मशीनों के संकट से जूझ रहे कैंसर संस्थान को मिलेगा बजट
कानपूर न्यूज़: दवाओं की किल्लत, खराब पड़ी मशीनें और बंद हो चुके टेस्ट से बदहाल जेके कैंसर संस्थान को बजट मिलने की राह सुगम हो गई है. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अस्पताल में बजट की कमी दूर करने का आदेश दिया. कुछ देर बाद ही के अवकाश के बावजूद डीजीएमई (चिकित्सा शिक्षा के महानिदेशक) ने अनुरक्षण बजट की फाइल वित्त विभाग सीएसजेएमयू के शिक्षा मंथन में पहुंचे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि संस्थान में मरीजों को कोई दिक्कत नहीं होने देंगे. बजट के लिए शासन और अस्पताल प्रशासन के बीच बात करा दी गई है. उधर, डीजीएमई ने तत्काल ही अनुरक्षण बजट की फाइल चला कर बजट आवंटन की सिफारिश कर दी. संस्थान को दो साल से अनुरक्षण बजट नहीं मिलने से यहां आने वाले कैंसर मरीज तड़प रहे हैं. न तो कोई जांच हो पा रही और न ही इलाज हो पा रहा है. सैकड़ों रोगी ऐसे हैं, जिनके इलाज के अभाव में घाव बढ़ते जा रहे हैं. ‘हिन्दुस्तान’ ने संस्थान की बदहाली को लगातार उजागर किया, जिसका बड़ा असर हुआ है.
आधे मरीज रह गए
कभी संस्थान में सभी 107 बेड फुल रहते रहेथे पर अब सुविधाएं नहीं मिलने से आधे से भी कम रह गए हैं. सिर्फ 37 मरीज भर्ती रहे, वह कहते रहे कि तड़पकर समय काट रहे हैं.
क्यों है जरूरी
मरीज प्रदेशभर से यहां आते थे पर एक साल से दिल्ली, लखनऊ, मुंबई जाना पड़ रहा है. ओपीडी अब दो सौ मरीजों की रह गई है पहले यही ओपीडी 350-400 कैंसर मरीजों की रही.
एक महीने का दवा का स्टॉक बचा
जेके कैंसर में कैंसर मरीज ब्रेकी थेरपी के लिए तरस रहे हैं. मरीजों की प्रतीक्षा सूची एक हजार पार कर गई है. गर्भाशय, अन्न नलिका, मुंह, ट्यूमर, प्रोस्टेट, जीभ, स्तन कैंसर के जख्मों की सिकाई के लिए ‘ब्रेकी थेरपी’ मशीन है पर किसी काम की नहीं. मशीन बंद होने से कैंसर मरीजों के शरीर के अंदर जख्म बढ़ने का खतरा बढ़ गया है. संस्थान में किसी तरह शरीर के बाहरी हिस्से का उपचार तो कोबाल्ट मशीन से हो रहा है लेकिन ब्रेकी थेरपी से मरीज वंचित हैं.
मशीनें पड़ीं बंद
संस्थान में एमआरआई, एक्स-रे, सीटी स्कैन, सीटी सिमुलेटर, ब्रेकी थेरेपी मशीन खराब है. दो कोबाल्ट मशीनें 14 साल पुरानी हैं. रोज दस की ही सिंकाई कर पाती हैं जबकि इससे रोज 30 मरीजों की सिंकाई होनी चाहिए.
हमारे प्रस्ताव पर अनुरक्षण बजट के लिए डीजीएमई कार्यालय ने फाइल वित्त विभाग को भेज दी है. यह भी प्रस्ताव किया गया है कि शासन चाहे तो लखनऊ में ही मेंटीनेंस एजेन्सी बुलाकर वहीं पर खराब पड़ी मशीनों की तत्काल मरम्मत करने के निर्देश दे दें ताकि एजेंसी को यह भरोसा हो जाए कि उसे इसके एवज में भुगतान मिल जाएगा. उम्मीद तो जगने लगी है कि कुछ दिनों में अनुरक्षण बजट मिल सकता है ताकि कैंसर मरीजों का पहले की तरह इलाज होने लगे.
-प्रो. एसएन प्रसाद, निदेशक जेके कैंसर संस्थान
आधा है स्टाफ
संस्थान में 106 बेड और तीमारदारी को सिर्फ सात स्टाफ नर्स बचीं हैं. चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की बात करें तो 64 पद में मात्र 28 पदों पर लोग तैनात हैं. 36 पद खाली पड़े हैं.