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200 करोड़ रुपये का जारी हो चुका बजट, एनओसी नहीं मिलने पर प्रोजेक्ट लंबा खींचा
मेरठ न्यूज़: गंगनहर पटरी के निर्माण का नए सिरे से काम अभी आरंभ नहीं हुआ। इसमें बाधा बने हैं वन विभाग। नहर पटरी पर वन विभाग के पेड़ लगे हुए हैं, उन पेड़ को काटने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र पीडब्ल्यूडी ने मांगा है, जो केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पिछले एक साल से लटका रखा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। उन्होंने ही गंगनहर की दूसरी पटरी को नौ मीटर चौड़ीकरण करने के आदेश दिए और इसका बजट भी स्वीकृत कर दिया। पिछले वर्ष इसके लिए 200 करोड़ रुपये का बजट भी जारी कर दिया गया था। इतना सब होने के बावजूद गंगनहर पटरी का निर्माण कार्य पीडब्ल्यूडी विभाग चालू नहीं कर पाया है। उधर, पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टेंडर हो चुका है, सिर्फ केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की एनओसी का इंतजार किया जा रहा है। रिमाइंडर पर रिमाइंडर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजे जा रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद एनओसी लटकी हुई है। यही वजह है कि गंगनहर पटरी की दूसरी साइड पर जो काम होना था, वह आरंभ ही नहीं हो पाया है। हालांकि पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर का यही कहना है कि जो बड़े पेड़ है, उनको शिफ्ट करने की व्यवस्था पर चर्चा हो चुकी है,
लेकिन इसके बावजूद केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय इस पर सहमति नहीं दे रहा है। गंगनहर पटरी के निर्माण से मेरठ से देहरादून एनएच-58 हाइवे पर वाहनों का दबाव है, वह कम होगा, जिससे लोगों को राहत मिलेगी। हालांकि जो पहले बन चुकी पटरी को सात वर्ष बीत गए हैं, लेकिन इसके बाद पुन: इस पटरी का नवनिर्माण करने की बजाय उसकी सिर्फ मरम्मत कर खानापूर्ति की जा रही हैं। पूरी तरह से कांवड़ पटरी मार्ग क्षतिग्रस्त हो चुका है, जिसकी मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति करने में पीडब्ल्यूडी के अधिकारी जुटे हुए हैं।