उत्तर प्रदेश

टूटे-फूटे रास्ते बन गए हैं वार्ड-71 की प्रमुख समस्या, पांच साल में वार्ड के हिस्से में नहीं आई उपलब्धि

Admin Delhi 1
15 Nov 2022 7:57 AM GMT
टूटे-फूटे रास्ते बन गए हैं वार्ड-71 की प्रमुख समस्या, पांच साल में वार्ड के हिस्से में नहीं आई उपलब्धि
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मेरठ न्यूज़: मुस्लिम बाहुल्य वार्ड-71 में सफाई की चरमराई व्यवस्था और टूटी-फूटी सड़कें, गलियां और नालियां मरम्मत के लिए नगर निगम प्रशासन की करम फरमाई का इंतजार कर रही हैं। इस वार्ड की समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर अपने समर्थकों के साथ पार्षद धरना-प्रदर्शन करके जेल जाने के बाद मायूस हो चुके हैं, लेकिन बीते पांच सालों में इस वार्ड के हिस्से में कोई ऐसा काम नहीं आया है, जिसका वार्डवासी उल्लेख कर सकें। वार्ड-71 के अंतर्गत दक्षिणी इस्लामाबाद, आजाद नगर, पूर्वा पीर बख्श, दरियागंज आदि मोहल्ले आते हैं। मुस्लिम अंसारी बाहुल्य इस वार्ड में मतदाताओं की संख्या करीब 12 हजार बताई गई है। नगर निगम के वर्तमान बोर्ड में पार्षद आसिफ मलिक इस वार्ड का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वार्डवासियों को अपने पार्षद से काफी शिकायतें हैं, जिनमें सफाई से लेकर निर्माण और पथ प्रकाश जैसे बुनियादी मुद्दों का समाधान न करा पाना शामिल है। वार्डवासी नगर सचिव कांग्रेस कमेटी इकरामुद्दीन अंसारी, फजल करीम, मैराजुद्दीन अंसारी, इसरार अंसारी आदि से वार्ड की समस्याओं को लेकर बात की गई। जिसमें यह बात प्रमुख रूप से सामने आई कि सफाई वार्ड का प्रमुख मुददा रहा है। वार्ड के लोगों की सबसे बड़ी शिकायत यही है कि पार्षद चुने जाने के बाद आसिफ मलिक ने नगर निगम जाकर वार्ड के लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए प्रयास नहीं किए। वार्ड के लोग उनके पास सफाई की गलियों की नालियों की स्ट्रीट लाइट की समस्या लेकर आते रहे।

लेकिन उन्होंने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। हालांकि वार्ड के लोग यह भी स्वीकार करते हैं कि इस दौरान उनके परिवार में एक के बाद एक करके गमी का माहौल भी बना, जिसके कारण ऐसा होना स्वाभाविक हो सकता है। वार्ड के लोगों का कहना है कि सीवर लाइन बिछाने के लिए जहां-जहां खुदाई की गई, वहां सड़कों की कोई मरम्मत नहीं की गई। जिसके कारण ठीक-ठाक चढ़कर भी टूटी फूटी अवस्था में पहुंच गई हैं। इन रास्तों पर चलने वाले दुपहिया वाहन अक्सर फिसल कर गिर जाते हैं। रात के समय गलियों से गुजरने वाले राहगीर भी ठोकरें खाकर चोटिल हो जाते हैं। वार्ड की जनसंख्या और क्षेत्रफल को देखते हुए यहां कम से कम 50 सफाई कर्मियों की जरूरत है। लेकिन इस समय यहां 25 से 30 के बीच में ही कर्मचारी तैनात किए गए हैं। इसी कारण सभी गलियों की और नालियों की साफ-सफाई सुचारू रूप से नहीं हो पाती है। इस वार्ड के मुख्य बाजार क्षेत्र तक में टूटी हुई और ऊपर तब अटी हुई नालियां देखकर यहां की बदहाली का अंदाजा लग जाता है। अलबत्ता पथ प्रकाश की व्यवस्था आमतौर पर कुछ बेहतर कही जा सकती है। यहां की अधिकतर गलियों में खंभों पर लाइटें लगाई गई हैं। हालांकि कुछ गलियां लाइट खराब होने के कारण कभी-कभी अंधेरे में डूब जाती हैं। वहीं कई स्थानों पर बिजली के खंभे बेतरतीब बिछाई गई केबल के झूलने के कारण खतरनाक स्थिति में पहुंचे हुए भी देखे जा सकते हैं।

पार्षद का कथन: वार्ड-71 के पार्षद आसिफ मलिक का कहना है कि वार्ड की समस्याओं के समाधान के लिए वे जेल तक जा चुके हैं। खिजरा मस्जिद पर जलभराव की समस्या को लेकर गोला कुआं पर धरना दिया था। इसका नतीजा यह हुआ कि प्रशासन ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया, और उन्हें आठ दिन जेल भी रहना पड़ा। हालांकि इस बात का संतोष है कि समस्या का समाधान भी हुआ। पार्षद आसिफ मलिक यह बात बेहिचक स्वीकार करते हैं वार्ड के लोगों ने जिस उम्मीद के साथ उनको पार्षद चुना था, वह पूरी नहीं हो पाई है। इसका कारण यह रहा के मौजूदा बोर्ड में नगर निगम में पहुंचने के बाद एक विपरीत माहौल देखने को मिला।

अपने स्तर से क्षेत्र की समस्याओं को चिन्हित करके नगर निगम प्रशासन के समक्ष रखा है, लेकिन नगर निगम प्रशासन ने भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाया। इसके अलावा कोविड-19 जैसी महामारी से गुजरना पड़ा। पार्षद के मुताबिक इसके बावजूद वार्डवासियों को उनसे जो भी शिकवे-गिले हैं, सब सिर-माथे हैं।

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