- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- धूल से पुराने मरीजों...
धूल से पुराने मरीजों की सांसें फिर संकट में, वाराणसी और गोरखपुर को पछाड़कर आगरा ‘चैंपियन’
आगरा न्यूज़: दमा, अस्थमा और सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के साथ टीबी के पुराने मरीजों की दिक्कत बढ़ गई है. मौसम में बार-बार बदलाव, धूल के साथ प्रदूषण के कारण उनकी सांसे फिर संकट में आ गई है. इन्हें बार-बार अस्पताल आना पड़ रहा है. हालत यह कि क्षय और वक्ष रोग विभाग में नयों से ज्यादा पुराने मरीज आ रहे हैं.
गर्मी शुरू होते ही वातावरण में धूल कण बढ़ जाते हैं. इधर मार्च से लगातार मौसम बिगड़ा हुआ है. धूल भरी हवाओं के साथ बारिश और ओलावृष्टि होती रही है. तापमान में भारी उतार-चढ़ाव भी रहा है. इससे फेफड़ों से संबंधित पीड़ित किसी भी रोग के मरीजों की दिक्कतें बढ़ रही हैं. हालत यह है कि वक्ष रोग विभाग की ओपीडी में पुराने मरीजों की अधिकता है. ओपीडी में आए कुल 307 मरीजों में से 106 नए और 201 पुराने थे. इसी तरह की बात करें तो कुल 11193 में से 96 नए और पुराने 97 मरीजआए.
वाराणसी और गोरखपुर को पछाड़कर आगरा ‘चैंपियन’
ताजनगरी ने नए टीबी मरीजों की खोज में पूरे प्रदेश को पीछे छोड़ दिया है. राजधानी लखनऊ समेत पीएम मोदी और सीएम योगी की सीटों वाले जिले भी फिसड्डी रह गए हैं. स्वास्थ्य विभाग के एक जनवरी से लेकर 05 अप्रैल तक के आंकड़े इसके गवाह बने हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीती 24 मार्च को वाराणसी से राष्ट्रीय ‘टीबी मुक्त पंचायत’ अभियान का शुभारंभ किया था. यानि हर पंचायत को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया गया है. इसके बाद प्रदेश का हर जिला अधिक से अधिक नए मरीजों की खोजबीन में जुटा है. अभियान के शुरुआती रुझानों को देखें तो इसमें ताजनगरी सबसे आगे है. करीब 50 लाख की आबादी वाले जिले ने अपने से दोगुने और तीन गुना आबादी वाले जिलों को पछाड़ दिया है. दिलचस्प यह कि नए रोगी खोजने में पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी 7वें नंबर पर है. जबकि सीएम योगी का क्षेत्र गोरखपुर जिला 9वें स्थान पर है. जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सीएल यादव ने बताया कि टीम मेहनत कर रही है.
विभाग में बेड पड़ रहे कम, चल रही जुगाड़
वक्ष रोग विभाग में बेड कम पड़ गए हैं. यहां कुल 45 बेड हैं. जबकि भर्ती मरीजों की संख्या 60 से अधिक चल रही है. लिहाजा बेंचों को डालकर जुगाड़ बनाई जा रही है. इन पर मरीजों को लिटाकर इलाज किया जा रहा है. कई महीनों से ऐसा ही चल रहा है. विभाग के विशेषज्ञ डा. संतोष कुमार ने बताया कि ‘लोअर रेस्पेरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन’ बढ़ रहा है.